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डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर में ‘आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 – स्कूल में शारीरिक एवं मानसिक दंड के प्रतिशेध’ जिला स्तर की अभिविन्यास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस जिला स्तरीय अभिविन्यास कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया। इसमें हरिद्वार जिले के विभिन्न स्कूलों के लगभग 120 प्रधानाचार्य, प्रशासक, वरिष्ठ शिक्षक और शिक्षा विभाग के लगभग 10 सदस्य शामिल थे।
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार परिसर बौद्धिक रत्नों, डाॅ0 के.के.गुप्ता (मुख्य शिक्षाधिकारी, हरिद्वार), राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से कुंती सिंघल, अंजुम फातिमा (उप राज्य परियोजना निदेशक, सर्वशिक्षा अभियान), विनोद कपरवान (मेम्बर, एससीपीसीआर), विनोद कुमार (खण्ड शिक्षाधिकारी, बहादराबाद-लक्सर ब्लाॅक), अकांक्षा राठौर (खण्ड शिक्षाधिकारी, रूड़की-खानपुर ब्लाॅक) श्री सिंह (सचिव, एससीपीसीआर) और राजीव आर्य (लेक्चरर, डाइट-रूड़की) की उपस्थिति से रोशन हुआ।
इन्होनें अपना अमूल्य समय इस कार्यशाला को स्कूल प्रशासकों को बच्चों के लिए एक सुरक्षित और अधिक सहायक वातावरण बनाने के लिए डिजाइन किया गया था। स्कूल में शारीरिक एवं मानसिक दंड को रोकने के लिए दिशानिर्देशों को समझना और स्कूल प्रशासन को बाल अधिकारों, और सुरक्षा से संबंधित विभिन्न कानूनी और विनियामक ढांचे के बारे में संवेदनशील बनाना इसका मुख्य उद्देश्य था।
कार्यशाला का आरम्भ वैदिक यज्ञ तथा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। इसके बाद छात्रों द्वारा मधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। मेजबान स्कूल के प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने औपचारिक रूप से गणमान्य लोगों का स्वागत किया। अपने संबोधन में, उन्होंने स्वामी विवेकानंद के ज्ञानवर्धक शब्दों को उद्धृत करके कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए, डाॅ0 के.के. गुप्ता ने आरटीई एक्ट, 2009 की धारा 17 के प्रावधानों पर प्रकाश डाला और किशोरों के अस्वीकार्य व्यवहार से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए उपायों का सुझाव दिया।
विनोद कपरवान (मेम्बर, एससीपीसीआर) ने छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों के संदर्भ में इक्विटी पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्रत्येक स्कूल में शिकायत निवारण समिति को गठित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विद्यालय शिक्षिका पूनम गक्कड़ द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक-शिक्षा का अधिकार के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों का एक शानदार प्रदर्शन था। नुक्कड़ नाटक ने सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसमें एक मजबूत संदेश दिया गया था। तत्पश्चात् कुंती सिंघल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी बुद्धिजीवियों से वास्तविक जीवन के अनुभव सांझा किए। राजीव आर्य (लेक्चरर, डाइट-रूड़की) ने शारीरिक दंड को खत्म करने के लिए दिशानिर्देशों पर एक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी। विनोद कुमार (बी.ई.ओ., बहादराबाद-लकसर) ने स्कूल के छात्रों के सामान्य मुद्दों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं और अभिनव समाधानों को अपनाने और पूरी तरह से भयभीत और तनावपूर्ण वातावरण को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यशाला का समापन विनोद कुमार (बी.ई.ओ., बहादराबाद-लकसर) के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। मंच संचालन सोनिया त्यागी द्वारा कुशलता से किया गया। कार्यशाला में कुसुम बाला त्यागी और हेमलाता पांडे, शरद कांत कपिल, मनमोहन बिंजोला, डॉ0 मंजीत कौर, नवनीत गुप्ता और रजत दुुसेजा ने भाग लिया।