न्यूज 127.
मोदीपुरम स्थित भारतीय कृषि प्रणाली अनुसन्धान संस्थान ने मंगलवार को खतौली ब्लॉक के गाँव टबीटा में किसानों और विद्याथियों को गाजरघास के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने एवं इसके नियंत्रण के लिए गाजरघास जागरूकता अभियान चलाया।
डॉ. चन्द्रभानु प्रधान वैज्ञानिक ने किसानों को गाजरघास से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया कि यह घास हमारी फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा कर उनके उत्पादन को कम कर रही है एवं यह हमारी स्थानीय क्षेत्र की जैव- विविधता के लिए खतरा बनती जा रही है। डॉ. मोहम्मद आरिफ वैज्ञानिक ने बताया कि गाजरघास के लगातार संपर्क में रहने से मनुष्यों में त्वचा सम्बन्धी रोग (डर्मीटाइटिस), एलर्जी, बुखार, दमा इत्यादि बीमारियाँ हो जाती है। यह हमारे पशुओं के लिए भी हानिकारक है। पशुओं द्वारा इनके सेवन से दूध की उत्पादकता कम हो जाती है एवं उसमे कड़वाहट आ जाती है।
डॉ. रघुवीर, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने गाजरघास नियंत्रण के उपाय बातए एवं इस हानिकारक गाजरघास को नियंत्रित करने एवं इसके उन्मूलन के लिए सदैव तत्पर रहने कि लिए सभी से आग्रह किया। डॉ. सुनील कुमार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डॉ. राघवें केजे वैज्ञानिक ने टबीटा गाँव के प्राथमिक विद्यालय के विद्याथियों को गाजर घास के दुष्प्रभावों एवं इसके नियंत्रण के बारे में बताया। उन्होंने विद्याथियों से आग्रह किया कि वो अपने बड़ों से भी यह जानकारी साझा करें। इस दौरान फार्मर फर्स्ट कार्यक्रम के तहत एक किसान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें किसानों को उर्वरकों एवं कीटनाशकों के कुशल उपयोग के बारे में बताया गया।