पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की रैली में ले गया शेर, दुनिया में छाया और आज ली विदाई, जानिए क्या था मामला




जोगेंद्र मावी
तत्कालीन प्रधानमंत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी की रैली में शेर लेकर अपनी ताकत का एहसास कराने वाले नोएडा निवासी बागी नेता चौधरी बिहारी सिंह ने 29 नवंबर—2020 को इस दुनिया से विदा ले। उसका अंतिम संस्कार नोएडा में किया। लेकिन उनके आंदोलन और दिलेरी के किस्से इतने मशहूर है कि हमेशा लोगों के​ दिल में रहेंगे। उनके एनटीपीसी दादरी समेत कई आंदोलनों की चर्चाओं के साथ सबसे मशहूर इंदिरा गांधी की रैली में शेर ले जाने का है।
रैली में शेर ले जाने का ये है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश की दादरी विधानसभा सीट की सन 1974 की घटना है। उस दौरान इंडियन नेशनल कांग्रेस दो हिस्सों और आई में टूट गई थी। उस दौरान चौधरी बिहारी सिंह आंदोलनों के चलते हुए मशहूर थे और किसान नेता के रूप में उनकी छवि थी। लेकिन इंदिरा गांधी ने उनका टिकट काट दिया। वे इसे लेकर इंदिरा गांधी से नाराज हो गए। लेकिन उन्हें कांग्रेस के दूसरे गुट के नेताओं ने भी प्रत्याशी नहीं बनाया। दादरी विधानसभा से कांग्रेस ओ से चौधरी तेज सिंह और सोशलिस्ट पार्टी से विशम्भर दयाल शर्मा चुनाव लड़े रहे थे। जबकि इंदिरा गांधी की आई गुट से रामचंद्र विकल चुनाव मैदान में उतारे गए। लेकिन बिहारी सिंह अपनी जिद के चलते हुए चुनाव मैदान में बतौर निर्दलीय उतर गए। चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव चिन्ह के रूप में शेर का चिन्ह जारी कर दिया। उन्होंने सेना की तीन जीप खरीदी और उन्हें प्रचार प्रसार में लगा दिया। बिहारी सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा कर दी कि यदि इंदिरा गांधी ने दादरी में चुनावी सभा की तो वे उसमें शेर छोड़ देंगे। इस बात को लेकर राजनीति ​गलियारों में चर्चा फैल गई और इंदिरा गांधी तक बात पहुंच गई। प्रधानमंत्री होते हुए प्रशासन की नजर बिहारी सिंह पर लग गई। क्योंकि सभी जानते थे कि यदि बिहारी सिंह ने निर्णय ले लिया तो वे अपने अडियल स्वभाव के चलते कुछ भी कर देंगे। उस दौरान गाजियाबाद में एक सर्कस चल रहा था और बिहारी सिंह ने नजरे बचाकर एक शेर 500 रुपये में किराए पर ले लिया। हालांकि उस समय 500 रुपये बहुत बड़ी रकम थी।     बिहारी सिंह ने उस शेर को अपने करीबी व्यक्ति कमल ठाकुर के घर में रखवा दिया और इसकी भनक किसी को भी नहीं लगी। क्योंकि सभी जानते थे कि जंगल से शेर को पकड़ना बिहारी सिंह तो क्या किया किसी के बलबूत की बात नहीं है। लेकिन जैसे ही दादरी में इंदिरा गांधी की रैली शुरू हुई तो बिहारी शेर के साथ रैली में पहुंच गए। शेर के साथ बिहारी को आता देख इंदिरा गांधी की रैली में भगदड़ मच और देखते ही देखते पूरा मैदान खाली हो गया। उस समय के जिलाधिकारी एके दास और एसएसपी केएन मिश्रा ने बिहारी सिंह को शेर वापस ले जाने की गुहार लगाई, लेकिन बिहारी सिंह ने अपना चुना चिन्ह प्रदर्शित करने की बात कहते हुए वही, से 500 मीटर की दूरी पर अपनी रैली शुरू कर दी।

फाइल फोटो – बिहारी सिंह बागी

चुनाव में दोनों ही हार गए थे
बिहारी सिंह बागी भले ही चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उनके शेर की कीमत कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र बिकल को हार के रूप में चुकानी पड़ी। देवटा गांव के तेज सिंह भाटी चुनाव जीतकर विधायक बने। वे एनसीओ के टिकट पर चुनाव लड़े थे।
इंदिरा गांधी रामचंद्र विकल को आगे बढ़ाना चाहती थीं
दादरी के किसान नेता बिहारी सिंह बागी इंदिरा गांधी के करीबी माने जाते थे। किसान आंदोलनों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से वे क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थे। दादरी विधान सभा से कांग्रेस के टिकट पर वे चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने इंदिरा गांधी से टिकट मांगा, लेकिन इंदिरा गांधी चौधरी चरण सिंह के समकक्ष एक किसान नेता स्थापित करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने रामचंद्र विकल को आगे किया। वे उस समय बागपत से सांसद थे। इंदिरा गांधी ने सांसद रहते हुए रामचंद्र विकल को उत्तर प्रदेश में कृषि मंत्री बनवाया था। उन्हें दादरी विधान सभा से चुनावी मैदान में उतारा गया। इंदिरा हर हाल में रामचंद्र विकल को जीतता देखना चाहती थीं। इसलिए वह दादरी में रामचंद्र विकल के लिए चुनावी सभा को संबोधित करने आई।

फाइल फोटो— इंदिरा गांधी रैली को संबोधित करते हुए


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