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डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, डिफेंस कॉलोनी, देहरादून में हरेला सप्ताह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सप्ताह का समापन 19 जुलाई 2024 को प्रेरणादायी व रंगारंग कार्यक्रम व वृक्षारोपण के साथ हुआ।
इस अवसर पर प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया के साथ-साथ मुख्य अतिथि गढ़वाली फिल्मों के अभिनेता बलराज नेगी व विशिष्ट अतिथि के रूप में विवेकानंद विद्यालय के प्रधानाचार्य ए.के. सिंह भी उपस्थित रहे।
विद्यालय प्रांगण में हरेला पर्व के अवसर पर अनेक गतिविधियों का आयोजन किया गया। हरेला सप्ताह के अंतर्गत नर्सरी कक्षा के बच्चों द्वारा पहाड़ी व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई। कक्षा 1 के छात्रों ने धान की रोपाई व पहाड़ी लोक संस्कृति को प्रस्तुत करते हुए नृत्य प्रस्तुत किये।
कक्षा 6 के छात्रों द्वारा पौधों की प्रदर्शनी लगाई गई व छात्रों को पुनर्चक्रण प्रक्रिया से अवगत कराया गया।वहीं कक्षा 7 व 8 के छात्रों द्वारा हरियाली बोई गई व उसकी कटाई कर विधि विधान पूर्वक भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन भी किया गया।
इस विशेष अवसर पर स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण को सृजित करने के उद्देश्य से विद्यालय के चारों ओर अशोक के पौधों का रोपण किया गया। छात्रों ने अपनी प्रतिभा व उत्तराखंड की लोक संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए नृत्य प्रस्तुत किये।
वहीं कुछ छात्रों द्वारा हरेला पर्व के महत्त्व को बताते हुए एक लोकगीत की प्रस्तुति दी गई। कक्षा 9 के छात्रों द्वारा पारंपरिक पहाड़ी नमक (पिस्यू लूण) की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें पहाड़ी पिस्यू लूण व सलाद ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
विद्यालय में पहाड़ी परिधान व गहनों से छात्रों को अवगत कराने के उद्देश्य से एक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों से उत्तराखंड की संस्कृति से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए। कक्षा 11 और 12 के छात्रों द्वारा ऐपण व स्वादिष्ट भोजन तैयार किए गए। सभी छात्रों के द्वारा अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया।
पहाड़ी नमक (पिस्यू लूण) प्रतियोगिता में भागीरथी सदन – प्रथम , अलकनंदा सदन- द्वितीय, मंदाकिनी सदन- तृतीय स्थान प्राप्त किया। गढ़वाली परिधान प्रतियोगिता में कक्षा 9 ‘स’ के छात्र तरुण नेगी व सोनल पोखरियाल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
प्रतियोगिता में विजयी छात्रों को प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया द्वारा प्रमाण पत्र दिए गए। मुख्य अतिथि बलराज सिंह नेगी ने छात्रों को पहाड़ी संस्कृति के संरक्षण व प्रकृति के संवर्धन के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्या शालिनी समाधिया ने छात्रों को हरेला पर्व के महत्व के संबंध में संबोधित करते हुए कहा कि हरेला पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति की हरियाली, प्रकृति के सम्मान व फसलों की लहलहाने का पर्व है। वृक्षारोपण करने व पर्यावरण बचाने की संस्कृति की ऐसी मनमोहन झलक हमें सिर्फ भारत भूमि पर ही देखने को मिलती है।
प्रधानाचार्य ने प्रकृति के संरक्षण हेतु छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में प्राचीनतम काल से ही वृक्षों को देव व नदियों को देवी स्वरूप पूजा जाता है इसलिए इनका दोहन करना हमारे व हमारी आगामी पीढ़ी के लिए कल्याणकारी नहीं है। अतः हरेला पर्व मानव को प्रकृति के प्रेम से रूबरू के साथ-साथ मानव को पर्यावरण संरक्षण तथा सतत विकास में उसके भागीदारी के प्रति भी सचेत करता है।