हरीश रावत की पोस्ट से फिर सियासी गलियारे में भूचाल




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न्यूज 127.
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट से एक बार​ फिर सियासी गलियारे में हलचल मची है। उनकी पोस्ट के बाद दिल्ली से उत्तराखंड तक चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उत्तराखंड भाजपा में किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा किया है। हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि हरीश रावत अपनी पार्टी संभालने में नाकाम हो रहे हैं लेकिन भाजपा के घर में झांकने की अपनी आदत को छोड़ नहीं पा रहे हैं।

हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि “बहुत दिनों बाद दिल्ली आया तो सेंट्रल हॉल में अपने पुराने दोस्तों को खोजने चला गया, पत्रकार भी मिल जाते हैं और राजनीतिक कलाकार भी मिल जाते हैं, तो काफी और टोस्ट का आनंद लेते मुझे बड़ी चौकाने वाली बात सुनाई दी। बोले भई तुम्हारे सांसदगण तो यहां बड़ा दबाव डाल रहे हैं और ये एक खग्गाड़ पुराने भाजपाई से सुनकर मैं बड़ा चौंका। खैर आगे मैंने और कुरेदने की कोशिश की तो उन्होंने इधर-उधर बातें बहला दी।

उन्होंने आगे लिखा कि मैंने सोचा शायद इससे ज्यादा नहीं कहना चाहते, मैं इंतफाक से जो है प्रेस क्लब भी चला गया। वहां बहुत सारे लोग मिले, कुछ हमारे पहाड़ी पत्रकार बंधु भी मिले। जो आजकल भाजपा के गुणगान में लगे हुए हैं तो उनसे कुरेदते-कुरेदते पता चला कि कुछ उज्याड़ू बल्द अब यहां तक भाजपा में जम और रम गए हैं कि वो बड़ी तमन्नाएं रखने लग गए हैं तो मुझे दोनों जगह सूंघने पर लगा कि कुछ न कुछ है, अब क्या है भगवान जाने? और यूं भी नीचे परिवर्तन करते रहो और ऊपर जमे रहो, ये भाजपा का राजनीतिक मंत्र है।”

हरीश रावत की इस पोस्ट के बाद राजनीति के गलियारे में तरह तरह की चर्चा
होने लगी है। हरदा ने अपनी पोस्ट के माध्यम से उत्तराखंड भाजपा में बड़े बदलाव की ओर इशारा किया है। उनका कहना है कि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है। बीजेपी में ऐसी खिचड़ी पक रही है जो कि सरकार के लिहाज से ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी लिखा है कि क्या खिचड़ी पक रही है वो तो भगवान ही जानें।

वहीं हरीश रावत की इस पोस्ट के बाद भाजपा कार्यकर्ता कह रहे हैं कि हरदा की दूसरों (भाजपा) के घरों में झांकने की पुरानी आदत है। वह अपनी पार्टी को तो संभाल नहीं पा रहे है। पुत्र मोह में उत्तराखंड में अपनी पार्टी का बंटाधार कर दिया। भाजपा कार्यकर्ता कह रहे हैं कि हरदा को पहले अपने घर को संभालना चाहिए, दूसरों के घरों के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए।



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