नवीन चौहान
उत्तराखंड के जौनसार को विकास की दरकार है। जौनसार के नेता हो या क्षेत्र के विकास की बात हो। इनको तव्वजो मिलनी चाहिए। राज्य गठन के दो दशकों में जौनसार को सरकार ने दरकिनार किया।
मुन्ना चौहान मंत्री और प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाए!
उत्तराखंड का जौनसार क्षेत्र वीरों की भूमि है। इसकी मिटटी से देश के लिए सैनिक और प्रशासनिक अफसर निकले। यही से राजनीति के दो धुरंधर खिलाड़ी भी निकले। हम बात कर रहे है मुन्ना सिंह चौहान और प्रीतम सिंह चौहान की। जनता के दिलों में राज करने वाले दोनों नेता संगठनात्मक राजनीति में पिछड़ गए! भाजपा का झंडा बुलंद करने वाले मुन्ना सिंह चौहान और कांग्रेस से जुड़े प्रीतम सिंह चौहान ने जौनसार के विकास के लिए हमेशा आवाज बुलंद की। क्षेत्र का सर्वागीण विकास करने का कार्य किया। लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इन दोनों नेताओं की उपेक्षा की।
हम बात करते है पुष्कर धामी की सरकार-2 की। इस बार उम्मीद की जा रही थी कि मुन्ना चौहान के राजनीतिक अनुभव का लाभ युवा मुखिया पुष्कर सिंह धामी जरूर लेना चाहेगे। उनको मंत्रीमंडल में शामिल करेंगे। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मुन्ना सिंह चौहान को दर किनार किया गया।
बात करें प्रीतम सिंह चौहान की तो कांग्रेस भी दो कदम आगे निकली। हरीश रावत के बाद कांग्रेस के सबसे मजबूत स्तंभ प्रीतम सिंह चौहान को कांग्रेस हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी से दूर कर दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष रह चुके प्रीतम सिंह की काबलियत को दरकिनार किया गया। एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने की उम्मीद पर भी कमजोर होती दिखाई पड़ रही है।
फिलहाल तो भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने जौनसार को हाशिए पर रखा है। यहां के क्षेत्र को विकास की जरूरत है। तो प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों को सम्मान की दरकार है।