बसंत ऋतु में बढ़े हुए कफ का समाधान सिर्फ आयुर्वेद में: डॉ राहुल आर्य (वैद्य)




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न्यूज 127.
हरिद्वार के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ राहुल आर्य ने बताया कि बसंत ऋतु में अक्सर कफ दोष बढ़ जाते है, जिसमे संचित हुआ कफ पिघलने लगता है। इसलिए इस मौसम में ज्यादा लोग कफ से संबंधित विकारों से पीड़ित होते है जैसे खांसी आना, मधुमेह का बढ़ जाना, त्वचा विकारों में सोरायसिस, एक्जिमा, दाद जैसे रोगों का बढ़ना, पुराने रोगों का फिर से उभर आना।

यदि किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखाई पड़ते है तो यह सब कफ दोष के खंडन के कारण होता है। ऐसे में कफ को संयमित करने और बढे हुए दोषों को बाहर निकालने के लिए इस ऋतु में आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा में वमन कर्म बहुत ही लाभदायक और रामबाण साबित होता है। इस प्रक्रिया में कुछ आयुर्वेदिक औषधि रोगी को देकर वमन अर्थात उल्टी कराई जाती है। जिसके जरिए दोष बाहर निकल आते है और पूरी बॉडी का डिटॉक्स हो जाता है। रोगी के दोष कम होकर पुनः वह हेल्थी महसूस करता है। इसके बाद रोगों के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है।

डॉ राहुल आर्य बताते है कि वमन कर्म करने के पश्चात रोगी हल्का महसूस करता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, पाचन शक्ति बढ़ जाती है और सभी खाया पीया पूरी तरह से पचने लगता है। डॉ राहुल आर्य ने बताया कि बसंत ऋतु में बढ़े हुए कफ दोष को कम करने के लिए आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा बहुत ही लाभकारी है। पंचकर्म चिकित्सा अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में ही लेनी चाहिए।