नवीन चौहान
हरिद्वार। रूढ़ीवादी मान्यताओं को तोड़ते हुए एक बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर उनको अंतिम विदाई दी। बेटियों की आंखों में पिता से बिछडने का गम साफ दिखाई दे रहा था। बेटी के साथ उसकी तीन बहने भी श्मशान घाट में मौजूद रही। दुख की इस घड़ी में समाज के लोगों ने बेटियों का ढांढ़स बंधाया।
उपनगरी ज्वालापुर के मौहल्ला झाड़ान निवासी सुभाष धीमान की बीमारी के बाद शनिवार देर शाम मौत हो गई। सुभाष के चार बेटियां हैं। सुभाष के बेटा नहीं होने पर दाह संस्कार के लिए तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। सुभाष के अंतिम संस्कार के लिये बड़ी बेटी पूजा (24 वर्ष) आगे आ गई। पूजा ने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने की बात कही। पूजा की यह बात सुनकर सभी भौचक्के रह गए, किन्तु पूजा अपने पिता का अंतिम संस्कार करने की बात पर डटी रही। रूढ़ीवादी मान्यताआेंं को तोड़ते हुए चारों बेटियों ने अपने पिता को कांधा दिया और उनकी बड़ी बेटी पूजा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। पूजा ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर यह साबित कर दिया कि बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं। बतादे कि हम भले ही 21वीं सदीं में आने की बात करते है। लेकिन पिता की संपत्ति में बेटियों को हक देने में पुरूष समाज की सोच संकीर्ण है। और पिता का दाह संस्कार करने से बेटियों को वंचित रखा जाता है। लेकिन पूजा ने इस रूढिवादी रिवाज को तोडकर मिशाल पेश की है।