मेरठ। गरमी का सीजन शुरू होते ही फलों के राजा आम की बादशाहत बाजार में छाने लगती है। इस समय आम के बागों में फल बनने की अवस्था चल रही है। यदि बागवान इस समय अपने बाग में आम की फसल का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंध करेंगे तो ना केवल उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि गुणवत्ता भी कई गुना अच्छी होगी।
भारतीय कृषि प्रणाली संस्थान में प्रधान वैज्ञानिक डॉ पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि संस्थान के निदेशक डॉ सुशील कुमार के निर्देशन में आम की प्रजाति के विकास और फलों में रोग की रोकथाम के लिए शोध कार्य चल रहे हैं। इन शोध कार्यों के जरिए आम की बागवानी करने वाले किसानों को न केवल तकनीकी जानकारी उपलब्ध करायी जाती है बल्कि फसल प्रबंधन के बारे में विस्तार से किसानों को बताया जाता है।
रसायन का छिड़काव करने से पहले जाने ये बात
डॉ पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इस समय आम के बागों में पेड़ों पर फल बनने की प्रक्रिया चल रही है। आम का फल जब मटर के दाने के बराबर हो जाता है तो उस पर किसी भी प्रकार के रसायन का छिड़काव नहीं करना चाहिए। रसायन का इस्तेमाल करने से फूल के कोमल हिस्से घावग्रस्त हो जाते हैं, इससे फल बनने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित होती है।
रोग से बचाने के लिए वैज्ञानिक सलाह से करें ये उपचार
मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद से मधुवा और चूर्णिल आसिता रोग का खतरा रहता है, जिससे फल को नुकसान होता है। इसकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एसएल) 1 मिली लीटर दवा को प्रति दो लीटर पानी में या हैसाकोनाजोल दवा को 1 मिली लीटर दवा प्रति लीटर पानी में या डाइनोकैप (46 ईसी) 1 मिली दवा प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इससे कीट और रोग की रोकथाम हो जाती है।
गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए करें ये काम
सूक्ष्म पोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो, उसको 2 ग्राम सूक्ष्मपोषक तत्व प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है और फल की गुणवत्ता बेहतर होती है। बाग में हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाए रखना चाहिए इससे फल की बढ़ावर अच्छी होती है।
बाग में सफाई भी बेहद जरूरी
बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए, गुठली बनने की अवस्था में बोरर कीटों के नियंत्रण के लिए थियाक्लोप्रिड रासायनिक कीटनाशकों को स्प्रे करने से आम फलों के बोरर्स को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है या क्लोरिपायरीफॉस दवा 2.5 मिली प्रति लीटर पानी को स्प्रे करने से भी आम के फल के छेदक कीट को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा फल मक्खी कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए फोरमैन ट्रैप लगाए जा सकते हैं।
आम फटने की समस्या पर करें ये उपचार
जहां आम फटने की समस्या ज्यादा हो वहां के किसान 4 ग्राम घुलनशील बोरेक्स प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें यह कार्य अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक अवश्य कर लेना चाहिए। आम के जिन मंजरों में फल नहीं लगे हैं उनको काट कर बाग से बाहर ले जाकर जला दे, क्योंकि अब उसमें फल नहीं लगेंगे। यदि वो पेड़ पर ही लगे रहे तो ऐसी स्थिति में ये रोग एवं कीड़ों को आकर्षित करेंगे। जिससे फल प्रभावित होगा।
आम के बारे में कुछ जानकारी
भारत में 2316.81 हेक्टेयर क्षेत्र में आम की बागवानी होती है। भारत में करीब 20385.99 हजार टन उत्पादन होता है। आम की राष्ट्रीय औसत उत्पादकता 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है। बेहतर प्रबंधन से इसे और अधिक बढ़ाया जा सकता है।