मेरठ। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के द्वारा शनिवार को बीज वितरण मेला एवं किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। मेले के पहले ही दिन करीब एक हजार किसानों ने 60 लाख रूपये कीमत से अधिक का बीज खरीदा जो कि रिकार्ड बन गया। मेले के माध्यम से बासमती के डीएनए प्रमाणित बीज बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के द्वारा किसानों को दिए गए।
हर साल की तरह इस बार भी पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड के किसानों ने गोष्ठी में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दौरान किसानों ने वैज्ञानिकों से बासमती धान की खेती के गुरु भी सीखें। किसानों ने बीज खरीद में इस कदर रूचि दिखायी की पहले दिन चार प्रजातियों का बीज समाप्त हो गया।
अब सोमवार से पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885, पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 01 आदि प्रजातियों का बीज वितरित किया जाएगा। पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 18860 प्रजाति का बीज समाप्त हो गया है।
विदित हो कि मेरठ के बासमती के बीज की पहचान देश में सर्वोत्तम बीज के लिए है। मेरठ के बीज के दूर-दूर के किसान दीवाने हैं। 500 किलोमीटर दूर से चलकर यहां किसान बीज लेने के लिए आते हैं। इस बार भी किसानों में भारी उत्साह देखा गया। उन्होंने प्रदर्शनी में अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।
गोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सदस्य डॉक्टर संतोष कुमार रहे। डॉ अशोक कुमार यादव डिप्टी डायरेक्टर पादप सुरक्षा मेरठ मंडल, डॉक्टर गोपाल सिंह, डॉक्टर राजेंद्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा आदि ने व्याख्यान दिए। गोष्ठी में डॉक्टर प्रमोद कुमार तोमर, नेत्रपाल शर्मा का विशेष योगदान रहा।
बीईडीएफ के प्रधान वैज्ञानिक व प्रभारी डॉ रितेश शर्मा ने बताया कि किसानों में प्रमाणित बीज ही इस्तेमाल करने में रूचि लगातार बढ़ रही है। किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती कर अधिक मुनाफा कमा रहा है। आज गोष्ठी में भी किसानों ने कृषि विशेषज्ञों से सवाल पूछे और उन्नत खेती के तरीकों को बेहतर तरीके से जाना।
मतदाताओं को जागरूक करने के लिए बीईडीएफ ने इस बार अनूठी पहल भी की। बीईडीएफ ने इस बार किसानों को जूट के बने बैग वितरित किये जिस पर स्लोगन लिखा था कि छोड़ो अपने सारे काम, पहले चलों करे मतदान।
दूसरे प्रदेशों से आए किसानों ने बीईडीएफ द्वारा वितरित किये जा रहे बासमती धान के बीज की प्रशंसा की। किसानों का कहना था कि यहां से जो बीज वह लेकर जाते हैं उसकी उत्पादकता काफी अधिक रहती है। बीज में रोग भी कम लगते हैं। सबसे अधिक अच्छी बात ये है कि यहां के विशेषज्ञों से जब फसल के बारे में बात की जाती है तो वह समस्या का निदान भी कराते हैं।