कांग्रेसी जयचंदों के संपर्क में रहे कुख्यात बदमाश, जानिये पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। पुलिस कुख्यात सुनील राठी के द्वारा व्यापारियों को धमकी देने के मामले में जिस प्रकार तेजी से जांच करने में जुटी है उससे लगता है कि शीघ्र ही मामले के असली गुनहगार सामने आयेंगे। पुलिस इस मामले में विगत दिनों प्रॉपर्टी डीलर आशीष ऊर्फ टुल्ली से भी लम्बी पूछताछ कर चुकी है। इस पूछताछ के बाद पुलिस को कई अहम सबूत हाथ लगे हैं। जबकि कई और कुख्यातों के संपर्क में रहने वाले लोगों की तरफ पुलिस का ध्यान नहीं गया है। ये तमाम लोग खादी की आड़़ में कुख्यातों की मांडवाली कराने में अहम भूमिका अदा करते रहे है।
प्रॉपर्टी कारोबारी प्रद्युम्न अग्रवाल पर दर्ज मुकदमों के बाद कुख्यात बदमाश सुनील राठी से संपर्क में रहने वाले लोगों की तलाश कर रही हरिद्वार पुलिस को काफी सफलता मिल रही है। पुलिस पड़ताल में कड़िया जुड़ती जा रही है। प्रॉपर्टी कारोबार की आड़ में बदमाशों को कनखल के कारोबारियों के मोबाइल नंबर देने वाले लोगों की जानकारी पुलिस के हाथ लग गई है। इसी बीच कई जयचंद्र कहे जाने वाले कांग्रेसी पुलिस के रडार पर नहीं आये है। भले ही यह अपना जीवन वर्षों से कांग्रेस को समर्पित बताते हुए नहीं थकते हों, किन्तु यह कभी भी कांग्रेस के नहीं रहे। प्रत्येक चुनाव में या फिर समय-समय पर इन्होंने कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा देने का काम किया। जिस टुल्ली पर व्यापारियों के नम्बर कुख्यात सुनील राठी तक पहुंचाने का शक कर रही है वह इस खेल का हाल फिलहाल का नया खिलाड़ी हैं। टुल्ली के प्रॉपर्टी डीलर के कारोबार में कदम रखने से पूर्व ही सुनील राठी, संजीव जीवा, चीनू पंड़ित जैसे कुख्यात बदमाशों का खौफ तीर्थनगरी में रहा हैं। इस खौफ के पीछे हरिद्वार के कांग्रेसी नेता कुख्यातों के एजेंटों की मुख्य भूमिका में रहे। सूत्र बताते हैं कि इन कांग्रेसी नेताओं ने पड़ोसी और अपने रिश्ते के भाई तक से चौथ वसूली करवाने में अहम् भूमिका निभाई थी। बाद में मामले का पटाक्षेप करने के लिए स्वयं इन नेताओं ने ही मदद करने के लिये हाथ बढ़ाते हुए यह जताने का प्रयास किया कि वह उनके सबसे बड़े हितेषी हैं। इतना ही नहीं प्रद्युम्न अग्र्रवाल को भी यह नेता गुमराह करने का काम करते रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि प्रद्युम्न अग्रवाल पूर्व में व्यापारियों की रकम लौटाने के लिए राजी हो गया था, किन्तु इन जयचंदो के उकसाने के बाद से ही प्रद्युम्न अग्रवाल ने अपने कदम पीछे खींच लिए। बावजूद इसके पुलिस इन नेताजी की कुण्डली खंगालने में आज तक पीछे रही। वैसे यह नेता जी स्वंय को एक वर्ग विशेष का ठेकेदार समझते हैं, जबकि सत्यता यह है कि वर्ग विशेष के 20 प्रतिशत लोग भी इनकी कारगुजारियों के कारण इनके साथ नहीं हैं। यदि पुलिस इन नेताजी की कुण्डली खंगालती है तो शहर में लम्बे अर्सें से चले आ रहे कुख्यातों के बड़े खेल का पर्दाफाश होगा और शहर की जनता को कुख्यात बदमाशों के आतंक से निजात मिल जायेगी। पुलिस को इस केस में बड़ी गहनता के साथ इन जयचंदों की कारगुजारियों को खंगालना होगा। जिसके बाद सच्चाई खुद व खुद बाहर आ जायेगी।



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