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गणेश चतुर्थी की देशभर में जोर शोर से तैयारी की जा रही है। श्रद्धालु अपने आराध्य की पूजा अर्चना में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी पर कई योग भी एक साथ बन रहे हैं जो भक्तों की मनोकामना को पूरा करने में सहायक बनेंगे। लेकिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखने वालों को व्रत खोलते समय चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। ऐसा करने पर उनके ऊपर किसी भी तरह का कलंक लगने की संभावना बनी रहती है।
इस बार दिन गणेश चतुर्थी पर ब्रह्म योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण होने के साथ साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी रहेगा। ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के मुताबिक इस दिन एक विशेष बात और यह होती है कि इस गणेश चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति के ऊपर मिथ्या रूप से कलंक लगने की संभावना रहती है। क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने भी इसी दिन चंद्रमा को देख लिया था, इसके बाद उन पर चोरी का झूठा इल्जाम लगा था। यदि आप गलती से चंद्रमा को देख लेते हैं, तो आप भगवान कृष्ण के उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं और गणेश चतुर्थी पर व्रत रखकर पापों से मुक्ति पा सकते हैं.
राहुल अग्रवाल ने बताया कि जो लोग गणेश चतुर्थी का व्रत रखते हैं तथा चंद्रमा को अर्ध देकर व्रत खोलते हैं वह इस दिन चंद्रमा को जल पेड़ पौधों में या जमीन पर चंद्र देव का ध्यान कर कर अर्पण करें। चंद्र दर्शन ना करें। इस दिन चंद्रमा रात को लगभग 8:49 पर अस्त हो जाएंगे।
हिंदू धर्म के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। गणेश जी सभी गणों के स्वामी हैं। उनकी पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। किसी भी नए काम की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम से की जाए, तो वह हमेशा सफल होता है। बुधवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है। वहीं विशेष फल की प्राप्ति के लिए भाद्रपद माह और भी शुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के मुताबिक हिंदू धर्म में भाद्रपद माह को भगवान श्री गणेश से जोड़ कर देखा जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए हर साल इस तिथि को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत इस साल 6 सितंबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है। यह शुभ मुहूर्त दोपहर के 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी।