कोरोना से घबराए नहींं नियमों का पालन करें: डॉ दिव्यांशु सेंगर




नवीन चौहान.
कोरोना संक्रमण और ओमिक्रोम वैरिएंट की वजह से देश में कोरोना की तीसरी लहर बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। रोज संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। देश में महामारी से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन लगातार अपनी तैयारी के साथ कार्य कर रहा है।

हमारा देश दुनिया में हम टीकाकरण के मामले में सबसे अच्छी स्थिति में है। लगभग 92% भारतीय पहली खुराक लगा चुके हैं और दूसरी खुराक लेने वाले करीब 70% हो चुके हैं। हम सभी को कोशिश करनी चाहिए कि अधिक से अधिक लोग जो बचे हैं वह टीकाकरण करा ले बच्चों को भी समय पर टीकाकरण करवा लें जिससे वह इस महामारी से संक्रमित होने से बच सकें।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वैरीएंट बच्चों में कोविड-19 होने की सबसे बड़ी वजह बना है। वहीं 14.8 प्रतिशत संक्रमित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। यह दावे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर ने मार्च से जून 2021 के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए 583 बच्चों के सैंपल की अध्ययन रिपोर्ट में किए हैं। इनमें 16 सैंपल दिल्ली एवं एनसीआर में संक्रमित हुए बच्चों के थे। अध्ययन में देखा गया है कि जीरो से अट्ठारह के बच्चों में सबसे कॉमन कोरोना वायरस वैरीएंट की पहचान के लिए सभी सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग की गई थी। इनमें शामिल बच्चों की औसत उम्र 13 वर्ष थी, जिनमें 51.8 प्रतिशत 13 से 19 वर्ष और 41.2 प्रतिशत 3 से 12 वर्ष के बच्चे थे। बाकी प्रतिशत 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे। यानी करीब 40 प्रतिशत संक्रमित बच्चों की उम्र 3 साल से कम थी। यह दर्शाता है कि बेहद छोटे बच्चों को कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित बनाना भूल हो सकती है। यहां पर देखा गया कि डेल्टा कप्पा और अल्फा ने भी बड़ी संख्या में संक्रमण फैलाया। डेल्टा वैरीएंट से 65.82 कप्पा से 9.96 अल्फा से 6.83 बी से 1.36 अनुपात 4.68 प्रतिशत संक्रमित पाए गए।

अध्ययन में देखा गया कि कुछ कोरोना वेरिएंट बच्चों के लिए मुश्किल साबित हुए कुछ राज्यों में बच्चों के लिए घातक साबित होने के बाद बच्चे आसानी से इस संक्रमण से बच सके। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में डेल्टा वैरीएंट ने बच्चों को ज्यादा संक्रमित किया। महाराष्ट्र, राजस्थान, चंडीगढ़ के बच्चों में कप्पा वेरिएंट्स ज्यादा मिला। हालांकि उत्तर भारत में दूसरे वेरिएंट्स भी बच्चों में मिल रहे हैं।

होम क्वॉरेंटाइन रहकर नए दिशा निर्देशों का करें अनुपालन
मरीज के क्वॉरेंटाइन कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। मरीज और उसके परिवार को एक फोन नंबर देना चाहिए जो जरूरत पड़ने पर 24 घंटे में कभी भी सहायता प्रदान कर सकें।
मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को वैक्सीन की दोनों खुराक लगी होनी चाहिए। मरीज के चेहरे पर 3 लेयर वाला मास्क होना चाहिए और मरीज को 24 घंटे देखभाल करने वाला होना चाहिए। बाकी सदस्य भी अपना ध्यान रखें और अपने लक्षणों की निगरानी रखें।

अगर एंटीजन और rt-pcr रिपोर्ट पॉजिटिव है लेकिन मरीज का ऑक्सीजन स्तर 93% से अधिक है या फिर मरीज को बुखार नहीं है या सांस की तकलीफ नहीं है तो ऐसी स्थिति में मरीज होम आईसोलेशन में जा सकता है। मरीज के साथ उसके परिवार को भी आइसोलेट होना चाहिए। अगर घर में कोई बुजुर्ग व्यक्ति है तो उसकी निगरानी भी रखनी होगी।

इन बातों का रखें ख्याल
मरीज को खूब आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए। कम से कम 40 सेकंड के लिए साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना चाहिए। मरीज को घर के अन्य लोगों के साथ बर्तन या अन्य सामान साझा नहीं करना चाहिए। कमरे में बार-बार छुई जाने वाली वस्तुओं जैसे टेबल टॉप, डोर हैंडल, नोबस आदि की साबुन तथा डिटर्जेंट से सफाई करें। रोगी के कोरोना लक्षणों पर नजर बनाए रखें और किसी भी लक्षण के बिगड़ने पर तुरंत डॉक्टर को रिपोर्ट करनी चाहिए।

जिस कमरे में मरीज आइसोलेट हैं वहां से घर के अन्य लोगों को दूर रहना चाहिए रोगी को एक हवादार कमरे में क्रॉस वेंटिलेशन के साथ रहना चाहिए और ताजी हवा आने के लिए खिड़कियां खुली रखनी चाहिए। मरीजों को हमेशा ट्रिपल लेयर मेडिकल मस्क n95 का प्रयोग करना चाहिए।
मरीज को अगर 100 डिग्री बुखार, सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन का स्तर 93 प्रतिशत से गिरता है, सीने में दर्द और गंभीर थकान हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बिना डॉक्टर के बताएं मेडिसन प्रारंभ ना करें तो अच्छा रहेगा।

मरीज अपना होम आइसोलेशन जब उसने आइसोलेशन में 7 दिन पूरे कर लिए हो और पिछले 3 दिनों से उस उसे बुखार नहीं आ रहा हो। हालांकि इसके बाद भी उसे मास्क पहनना जरूरी होता है। होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त होने के बाद पुनः परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन बाहर निकलते समय मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना नितांत आवश्यक है। इसके अलावा मरीजों को प्रोटीन डाइट और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जिससे उनकी इम्युनिटी लगातार मजबूत होती जाए।

आइसोलेशन खत्म होने पर क्या करें
जिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर दिव्यांशु सिंह ने बताया कि संक्रमण रोकने में सबसे अच्छा रोल मॉस्क का है। टाइट फिटिंग का मास्क ही संक्रमण रोकने में मदद करता है। यदि संभव हो तो एक मॉस्क के ऊपर दूसरा मास्क को लगाएं और अच्छे मॉस्क का प्रयोग करें जो प्रॉपर तरीके से नाक तथा मुंह को ढक ले। ढीला या नाक के नीचे या गले में लटका हुआ मास्क ना लगाएं। यदि मास्क को ठीक से नहीं लगाएंगे तो संक्रमण का खतरा बना रहेगा। मास्क वही ले जिससे हवा क्रॉस ना हो। साथ ही साथ घर में आने पर या अपने ऑफिस में हाथों को सैनेटाइज करते रहे। इसके अलावा हल्की सी भी खांसी जुखाम महसूस यदि होता है तो गर्म पानी के गरारे करें संभव हो तो बीटाडीन के गरारे करें। भाप खोलें खाने में अंडे का सफेद वाला भाग पनीर दाल हरी सब्जियां और फलों का सेवन करें। बाहर का खाना या जंक फूड कतई ना ले तभी आप संक्रमण से अपने शरीर को बचा सकेंगे।



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