नवीन चौहान.
पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार 17 अप्रैल की शाम को थम गया। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर पहले चरण में ही मतदान होना है। प्रचार का शोर थम जाने के बाद अब प्रत्याशी डोर टू डोर मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। आज की रात प्रत्याशियों के लिए किसी कयामत की रात से कम नहीं होती।
बुजुर्ग कहते हैं कि मतदान से एक दिन पहले की रात कयामत की रात होती है। इसी रात मतदाताओं का रूख तय होता है कि वह किसे वोट दे और किसे नहीं। परिवार भी रात में ही बैठकर तय करता है उसके परिवार की वोट कहां जाएंगी। हालांकि इसमें कुछ बदलाव भी देखने को मिल रहे हैं, अब युवा अपने हिसाब से मत का प्रयोग करता है। प्रत्याशी और उनके समर्थक भी इसी रात अपने मतदाताओं को एकजुट बनाए रखने का प्रयास करते हैं। प्रत्याशी और समर्थक एक दूसरे के मतदाताओं में सेंधमारी का पूरा प्रयास करते हैं।
इसी क्रम में गांवों में नुक्कड़ बैठकें भी होती हैं, जिनमें वोट ना बिखरे इसके लिए नमक लोटा लेकर कसम दिलायी जाती है कि वोट एक ही जगह जाएंगी। वोटरों को लुभाने का अंतिम प्रयास भी इसी रात होता है। इसमें जो प्रत्याशी सफल हो जाता है वह बाजी मारकर ले जाता है। आज की रात प्रत्याशियों की नींद उड़ी रहती है। वहीं दूसरी ओर प्रत्याशी डोर टू डोर जाकर भी मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट डालने की अपील करते हैं।