Patanjali Gurukulam: कभी लहराई थी बंदूके: अब गुंजायमान होगा वैदिक स्वर और ॐ का सबसे ऊंचा झंडा





नवीन चौहान
गुरूकुल महाविद्वालय की भूमि पर कभी बंदूके लहराई थी। बंदूकों के साये में शिक्षण कार्य हुआ। लेकिन अब संस्था की भूमि से वैदिक स्वर गुंजायमान होगा तथा आर्य समाज का ओउम का झंडा बुलंदियों को छूअेगा।


गुरूकुल महाविद्वालय की अंतरंग सभा के पदाधिकारियों ने बाबा रामदेव के पतंजलि गुरूकुलम और आचार्यकुलम को लेकर सराहनीय कदम बताया। पूर्व प्रधान क्षेत्रपाल सिंह ने बताया कि 118 साल पुरानी संस्था है, लेकिन इस दौरान गुरूकुल में कोई ऐसा कार्य नहीं हुआ, जिससे कि विश्व स्तर पर पहचान मिल पाती। इसी के चलते महासभा के लोगों ने सर्वसम्मति से विचार किया और बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ संस्था में विलय करने का निवेदन किया। महासभा की दो बैठकों के बाद बाबा रामदेव जी ने हमारे निवेदन को स्वीकार किया। जिसके फलस्वरूप आचार्यकुलम और पतंजलिकुलम बनने का रास्ता साफ हुआ है।
क्षेत्रपाल सिंह चौहान ने बताया कि बाबा रामदेव जी ने हमारी संस्था के प्रस्ताव को स्वीकार किया। एक सार्वजनिक संस्था की संपत्ति है। अब पतंजलि गुरूकुलम और आचार्यकुलम बनेगा और संस्था का नाम गौरवांवित होगा। इन तमाम पदाधिकारियों ने बाबा रामदेव की ओर से आयोजित शिलान्यास कार्यक्रम को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग किया। संस्था के सभी पदाधिकारी एकजुट होकर कार्यक्रम की तैयारियों को मूर्तरूप में देने में लगे रहे। बेहद ही कम समय में बाबा रामदेव ने इस आयोजन को सफल बनाया।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि पहुंचकर भूमि पूजन किया और हरिद्वार में एक गर्त में पड़ी संस्था को विश्व पटल पर कीर्तिमान बनाने की सौगात दी।



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