गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में शिक्षकों के लिए 15 दिवसीय शोर्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम




सोनी चौहान
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में शिक्षकों के अन्दर शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा0 सत्यपाल सिंह के आदेशानुसार अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय में 15 दिवसीय शोर्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह है कि तकनीकी संस्थानों में शिक्षण का स्तर सुधारने के लिए नए-नए शोधों का प्रयोग हो रहा हैं। तकनीकी आकडे के अनुसार तकनीकी क्षेत्र मे छात्रों की संख्या मे गिरावट आ रही है| छात्रों की संख्या को बरकरार रखने के लिए शिक्षण अधिगम को सुधारने के लिए शॉर्ट टर्म प्रोग्राम को पंद्रह दिनों तक चलाया जाएंगा| इस कोर्स का नाम एकडेमिक लीडरशिप प्रोग्राम दिया गया| इस प्रोग्राम के अंतर्गत तीन मुख्य बात है पहला टीचर लीडरशिप इसकील डेव्लपमेंट दूसरा टीचर एंड लीडरशिप इम्प्रोवेमेंट ऑर तीसरा शोध
अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय के अध्यक्ष प्रो पंकज मदान ने लीडरशीप पर बोलते हुए कहा कि अध्यापक कक्षा में जब पढ़ाने जाता है तब उसके ज्ञान और व्यवहार का अनुभव होता है। अध्यापक के अन्दर शिक्षण अधिगम पैदा करने के लिए नई-नई तकनीकों का समावेश होना जरूरी है। उन्होने कहा कि शिक्षण कार्य करते समय शिक्षक का दायित्व बन जाता है कि वह शिक्षण करते समय अपने अन्दर विश्वास और विषय ज्ञान का भण्डार छात्र तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों में शिक्षण कला को विकसित करने के लिए छात्रों के जवाब और सवाल का उत्तर बेहिचक दे। आज शिक्षकों में कौशल की कला को बढ़ाने के लिए शार्ट टर्म कोर्स की अत्यन्त आवश्यकता है। लीडरशीप कार्यक्रम के अन्तर्गत उच्च कोटि के शिक्षक नवीन शिक्षकों को अपने अनुभव और कौशल से अवगत कराएं।
डा विपुल शर्मा ने कहा कि वर्तमान युग डिजिटल का है और यह युग बिना तकनीकी ज्ञान के अधुरा है। तकनीकी ज्ञान डिजिटल मोड्यूलेशन के द्वारा प्राप्त हो सकता है। तकनीकी ज्ञान के लिए नए-नए शोध हो रहे हैं, जिनकी जानकारी शिक्षक को होना अत्यन्त आवश्यक है। अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय में तकनीकी ज्ञान से परिपूर्ण शिक्षक नहीं होगा तो छात्रों का भविष्य उज्जवल नहीं होगा। पुराने शिक्षक शिक्षण की कला में निखार तो ला सकते हैं। मगर गुणवत्ता पैदा करने के लिए अध्ययन करना जरूरी होगा। अमन त्यागी ने जावा प्रोग्रामिंग की बारिकियों को बताते हुए कहा कि कम्प्यूटर का हर साफ्टवेयर नवीन ज्ञान से परिचय कराता है। कम्प्यूटर की जानकारी नवीनतम होनी चाहिए। बिना कम्प्यूटर के तकनीकी ज्ञान अधूरा रह जाता है। इसलिए बिना कम्प्यूटर ज्ञान के बिना शिक्षक को अपनी कक्षाओं में बच्चों का सामना करने में बड़ी परेशानी को झेलना पड़ता है।

डा0 मुरली मनोहर तिवारी ने कहा कि यह सार्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम शिक्षकों की गुणवत्ता में अवश्य वृद्धि करेगा और प्रत्येक शिक्षक को यह प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा मयंक अग्रवाल, डा सुयश भारद्वाज, निशान्त कुमार, गजेन्द्र रावत, संजीब लाम्बा, देवेन्द्र सिंह, डा विवेक गोयल इत्यादि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र रावत ने किया।



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