किसान आंदोलन से इत्तेफाक नहीं रखते हरिद्वार के किसान, किसान देश को गाली नहीं दे सकता, बल्कि समृदिृध के लिए करता है काम, देखें वीडियो




नवीन चौहान
दिल्ली में 26 नवंबर-2020 से किसान आंदोलन चल रहा है। किसान आंदोलन में कई किसानों की मृत्यु हो चुकी है। 26 जनवरी को लाल किले पर जो कुछ हुआ वह पूरे विश्व ने देखा। शनिवार को 6 फरवरी को आंदोलन को उग्र करते हुए चक्का जाम कर रहे हैं। इससे कई प्रदेशों में आवागमन प्रभावित है। हालांकि उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं हैं, लेकिन लगातार चल रहे किसान आंदोलन से हरिद्वार के किसान इत्तेफाक नहीं रखते।

हरिद्वार के किसानों का कहना है कि किसान इतने लंबे दिनों तक आंदोलन नहीं कर सकता, किसान यदि काम नहीं करेगा तो भूखा मर जाएगा।
जब देश में जब किसान चक्का जाम कर रहे हैं तो हरिद्वार के ग्राम मिस्सरपुर निवासी किसान प्रमोद चौहान से न्यूज127 के संपादक नवीन चौहान ने किसान आंदोलन को लेकर बात की। जिस पर किसान प्रमोद चैहान ने किसान आंदोलन को राजनैतिक महत्वकांक्षा से प्रेरित बताया। उन्होंने बताया कि इतने ज्यादा दिनों तक एक स्थान पर नहीं बैठ सकता। किसान के पास इतना काम होता है कि यदि वो प्रतिदिन काम नहीं करेगा तो गुजारा मुश्किल हो जाएगा। किसान दो महीने से अधिक समय से पड़े हैं।
वो अपने को किसान बताते हैं जो लाल किले पर झंडा फहराते है। वो कैसे किसान हैं जो पुलिस पर डंडे बरसाते हैं और दौड़ा-दौड़ाकर मारते हैं। वो कैसे किसान है जो देश को गाली देते हैं। किसान देश की समृदिृध में भागीदारी करता है। ये राजनीतिक लाभ के लिए आंदोलन कर रहे हैं। बताया कि किसानों के गन्ने का भुगतान समय पर हो रहा है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नहीं हैं, बल्कि भ्रांतियां फैला रहे हैं। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ सांसद में कांग्रेस के सांसद प्रस्ताव लाए थे, वे आज राजनीति करने के लिए किसानों को उकसा रहे हैं। कृषि कानूनों के लिए बने हुए कानून लाभदायक है। बिचैलिए और दलाल किसानों के बीच में नहीं रहेंगे तो किसानों को लाभ मिलेगा।



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