नवीन चौहान, हरिद्वार। मां गंगा की रक्षा करने और उसको प्रदूषण मुक्त बनाने की की दिशा में जूना अखाड़े के सभी संतों ने बड़ा फैसला लिया है। जूना अखाड़े के सभी संतों ने नागा सन्यासी अखाडे़ के सर्वोच्च पद पर आसीन दत्त अखाड़ा उज्जैन के गादी पति पीर श्री महंत परमानंद पुरी के पार्थिव शरीर को गंगा में विसर्जित करने की परंपरा को तोड़ते हुये भू-समाधि देने पर सहमति बनाई है। जूना अखाड़ों के संतों के इस निर्णय को जनता की ओर से भी सराहा जा रहा है। इसी के साथ गंगा की रक्षा करने की दिशा में जूना अखाडे़ के संतों का ये कदम अन्य अखाड़ों के लिये प्रेरणा का कार्य करेंगा।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये मुहिम शुरू की हुई है। वह गंगा रक्षा के लिये जनता और संत समाज से लगातार सहयोग की अपील कर रहे है। कुछ माह पूर्व भारत सरकार के जल संसाधन मंत्री सत्यपाल सिंह ने भी नमामि गंगे परियोजना के शुभारंभ अवसर पर संत समाज से एक भावनात्मक अपील की थी। उन्होंने अपनी अपील में कहा था कि संत समाज गंगा रक्षा के लिये आगे आये और संतों के पार्थिव शरीर को जल समाधि देने के स्थान पर भू-समाधि देकर गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग करें। उनकी इस अपील का हरिद्वार में विरोध भी हुआ। लेकिन हरिद्वार के जूना अखाड़े के श्री महंत
जूना अखाड़े के संरक्षक श्री महंत हरिगिरि जी महाराज ने बताया कि 108 वर्षीय पीजी श्री महंत परमानंद पुरी जी को उज्जैन में भू-समाधि दी जाने का निर्णय सभी संतों की ओर से गया है।