पतंजलि ने धूमधाम से मनाया 25वाँ स्थापना दिवस




देश को सभी दिशाओं में उन्नत बनाने में पतंजलि में का बड़ा योगदान: पूज्य स्वामी जी महाराज
सोनी चौहान
पतंजलि परिवार का 25वाँ स्थापना दिवस समारोह पतंजलि योगपीठ-।। के श्रद्धालयम् भवन में भव्यता के साथ मनाया गया। संस्था के परमाध्यक्ष रामदेव महाराज, महामंत्री श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण तथा श्रद्धेय गुरुदेव आचार्य प्रद्युम्न महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
रामदेव महाराज ने कहा कि पतंजलि की 25 वर्षों की सेवा, संघर्ष व साधना की ऐतिहासिक गौरवपूर्ण यात्र अनावरत रूप से गतिमान है। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य के निर्माण की प्रक्रिया माँ के गर्भ से प्रारम्भ होती है किन्तु हमारे पूर्वजों के संस्कार, शिक्षा व सदाचरण से मनुष्य या श्रेष्ठ मानव निर्माण होता है। पतंजलि एकमात्र ऐसी संस्था है। जिसका अल्टिमेट प्रोडक्ट मनुष्य है। आज से कुछ वर्ष पहले वैश्विक स्तर पर पतंजलि की पहचान योग व आयुर्वेद से थी। किन्तु वर्तमान में पतंजलि की पहचान शिक्षा, संस्कार, अध्यात्म, अनुसंधान, कृषि आदि के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान के रूप में है।


उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ का रजत जयंति वर्ष है। इन 25 वर्षों में हमने सेवा, साधना, सृजन व निर्माण के तय किए और इन 25 वर्षों में योग, आयुर्वेद और स्वदेशी को एक जनांदोलन बनाया जिसमें करोड़ों लोगों की साझेदारी हुई। इस जनांदोलन के साथ-साथ हमने लगभग 1 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया। करीब 5 लाख किसानों को पतंजलि के साथ आगे बढ़ाया। अब रूचि सोया का अधिग्रहण भी पतंजलि के द्वारा किया जा चुका है तो यह सेवा कार्य व्यापक स्वरूप लेगा। आज हम गौरव के साथ कह सकते हैं कि देश को सभी दिशाओं में उन्नत बनाने में पतंजलि ने बड़ा योगदान दिया। उन्होंने कहा कि कोई संस्था किसी एक क्षेत्र में कीर्तिमान बनाती है तो गौरव अनुभव करती है। पतंजलि योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, शिक्षा, चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा और विश्व के सबसे बड़े फूड पार्क के संचालन के रूप में नित नए कीर्तिमान बनाती जा रही है। पतंजलि विश्व की ऐसी प्रथम कोटि की संस्था है। योग, आयुर्वेद पर आधारित क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल, ड्रग डिस्कवरी विभाग जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया, वह आयुर्वेद अनुसंधान में दुनिया का सबसे बड़ा केन्द्र है। आगामी 25 वर्षों का लक्ष्य हमने तय किया है जिसमें हम योग-आयुर्वेद के साथ अब शिक्षा क्रांति में आगे बढ़ेंगे। एक लाख विद्यार्थियों के आवासीय शिक्षा-दीक्षा का हमारा संकल्प है जिसमें योग व आयुर्वेद जैसे आधुनिक विषयों जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, मैनेजमेंट, लॉ आदि सभी आधुनिक विषयों के प्रशिक्षण का प्रबंध होगा। ऐसा लगभग 2 हजार एकड़ भूमि पर दुनिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय आगामी 5 से 10 वर्षों में बनाया जाएगा। हमारा लक्ष्य होगा आगामी 25 से 50 वर्षों में अपने जीवनकाल में लगभग 1 करोड़ से ज्यादा युवाओं को शिक्षित एवं संस्कारित करके एक विश्व नागरिक के रूप में देश व दुनिया को देकर जाना। इस अनुष्ठान में पूज्य श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण महाराज ने एक छोटे भाई के रूप में मेरा साथ दिया एवं देश के करोड़ों लोगों ने मेरा जो साथ दिया, इससे मुझे ताकत व हिम्मत मिली।


बालकृष्ण महाराज ने कहा कि पतंजलि के लिए पतंजलि योगपीठ परिवार से जुड़े करोड़ों-करोड़ों भाई बहनों के लिए यह महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक क्षण है, जब परम श्रद्धेय पूज्य स्वामी जी और परम श्रद्धेय गुरुदेव यहाँ पर सबको गौरवपूर्ण इतिहास से जोड़ते हुए आपको संस्थान की सेवा साधना से रूबरू करा रहे हैं। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों व आजीवन सेवाव्रती भाई-बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप सबके द्वारा जो सेवा कार्य किया जा रहा है वह बहुत अद्भुत है। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज के दो भाग होते हैं एक सम्मुख और दूसरा पृष्ठ। पतंजलि की गतिविधियों का सम्मुख भाग ही बहुत विशाल है। जो हमारे सामने होता है, वह तो स्पष्ट दिखाई देता है किन्तु उसके पीछे उसका व्यापक प्रभाव समाज, व्यक्ति और पदार्थ में दृष्टिगोचर होता है। पतंजलि दुनिया की ऐसी एकमात्र संस्था है जो मनुष्य के लिए आवश्यक जितने भी महत्वपूर्ण तत्व, धर्म, संस्कृति से लेकर के राष्ट्र के लिए जो भी कार्य और गतिविधियाँ हो सकती हैं, हर गतिविधि और हर कार्य में पूरी तरह से संलग्न है। पतंजलि के कार्यों की व्यापकता बहुत विशाल है। पतंजलि का स्वरूप इतना विशाल है कि इसको समझना या इसका आँकलन करना दुस्तर कार्य है। लोग इसका मूल्यांकन कैसे कर पाएंगे। हमें प्रसन्नता है कि उस मूल्यांकन में भी उसकी कहीं न कहीं सकारात्मकता सहानुभूति और अपनत्व जुड़ाव रहता है। कार्यों की इतनी विविधता और वह भी इतने थोड़े समय में। जितने भी महापुरुष, बड़े-बड़े वीर, शहीद, क्रांतिकारी या अध्यात्म के जुड़े महापुरुष हुए हैं, सब हमारे लिए पूजनीय, वंदनीय तथा सद्कर्णीय है परंतु सभी महापुरुषों ने अपने एक कार्यक्षेत्र का चयन किया और एक क्षेत्र के लिए उन्होंने अपने जीवन को लगाया। पर यहाँ तो कोई क्षेत्र ही नहीं है, जो बचा हो। पतंजलि योगपीठ को चाहे अध्यात्म की साधना स्थली के रूप में देखें जहाँ शास्त्र, वेद से लेकर साधना और पठन-पाठन होता हैै या आयुर्वेद की अग्रणी संस्था के रूप में जहाँ आयुर्वेद पर वैश्विक स्तर पर अनुसंधान होता है या शिक्षा, चिकित्सा, कृषि व उद्योग आदि के क्षेत्र में, पतंजलि सभी में अग्रणी संस्थान है।


साध्वी देवप्रिया ने कहा कि पतंजलि की व्यापकता को देखते हुए आज हम इसे एक वटवृक्ष के रूप में देखते हैं। कोई भी कितना भी विशाल वृक्ष क्यों न हो, उसका बीज तो कोई होता ही है, और वह आज हमारे सामने मंच पर उपस्थित है। उन्होंने कहा कि पतंजलि में बहनों को पूर्ण सम्मान मिलता है। एक वाक्य में कहें तो पतंजलि योगपीठ ऐसी संस्था है जहाँ जीवन उपयोगी सात्विक चरित्र और राष्ट्र व विश्व के लिए उपयोगी इंसान तैयार किए जाते हैं।


समारोह में डॉ. गणेशदत्त शर्मा द्वारा रचित पुस्तक ‘श्रद्धानंद चरितम्’ का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य महाप्रबंधक रामभरत, पतंजलि योगपीठ के मुख्य महाप्रबंधक श्री ललित मोहन, पतंजलि योग समिति के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश कुमार, शैक्षणिक सेवाओं को उन्नत बनाने के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष डॉ. पी.एल. गौतम, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, डॉ. गणेशदत्त शर्मा, डॉ. वेद प्रकाश शास्त्री आदि उपस्थित रहे।



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