नवीन चौहान
स्वामी श्रद्धानंद की तपस्थली गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्वालय में पहली बार एक महिला कुलपति की ताजपोशी हुई है। मूल रूप से दक्षिण भारत के मददुरई की रहने वाली प्रोफेसर हेमलता ने साल 1997 में गुरूकुल कांगड़ी से पीएचडी की उपाधि हासिल की थी। कन्या गुरूकुल महाविद्वालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर के तौर पर हेमलता ने कई दशकों तक कार्य किया। उनके पदभार ग्रहण करने के साथ गुरूकुल कांगड़ी परिसर में भी एक उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। संभावना है कि आंतरिक रजनीति से निजात मिलेगी और गुरूकुल कांगड़ी एक बार फिर अपने पुराने गौरव को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
प्रोफेसर हेमलता की नियुक्ति यूजीसी के मानकों के अनुरूप वरिष्ठता क्रम में हुई है। जब तक स्थायी कुलपति की नियुक्ति नही होती तब तक कुलपति पद के तमाम दायित्वों का निर्वहन प्रोफेसर हेमलता बतौर कुलपति के रूप में करेंगी।
कुलपति प्रोफेसर हेमलता ने बताया कि भारत सरकार के नियमों व आर्य समाज के सिद्धांतों के अनुरूप गुरूकुल कांगड़ी की तमाम व्यवस्थाओं को अनवरत जारी रखेंगे। उन्होंने बताया कि देहरादून कन्या गुरूकुल में अंग्रेजी विभाग प्रमुख के पद पर कार्य किया। दक्षिण भारत के मददुरई में यूजी, चेन्नई में पीजी करने के बाद गुरूकुल कांगड़ी से पीएचडी की उपाधि हासिल की। उन्होंने बताया कि साल 1983 में उत्तर प्रदेश के समय ही यहां आ गई थी। तभी से उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी है।