श्रद्धाजंलि स्मृति शेष: भारत माता की आन-बान-शान जनरल बिपिन रावत जी




नवीन चौहान.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 दिसंबर 1978 को उत्तराखंड के पौड़ी में हुआ था। बिपिन रावत उत्तराखंड के एक राजपूत परिवार में हुआ था जो पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवा दे रहा है। बिपिन रावत अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से ताल्लुक रखते थे जिन्होंने भारतीय सेना की सेवा की थी।

उनके पिता, लक्ष्मण सिंह रावत ने भारतीय सेना की सेवा की और लेफ्टिनेंट-जनरल के पद तक पहुंचे थे ।उनकी मां उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक पूर्व विधायक की बेटी थीं। 
बिपिन रावत जी के चाचा, भरत सिंह रावत भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त हवलदार (गैर-कमीशन अधिकारी) हैं। उनके अन्य चाचा हरिनंदन ने भी भारतीय सेना में सेवा की।

जनरल रावत की पत्नी का नाम मधुलिका था। वह आर्मी वाइफ्लस वेल्फेयर असोसिएशन (AWAA) की अध्यक्ष भी थी। उनकी पत्नी मधुलिका मध्य प्रदेश के शहडोल की रहने वाली थीं और स्वर्गवासी राजनेता मृगेंद्र सिंह की पुत्री थी। मधुलिका रावत ने अपनी पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में की। AWAA के अलावा वह कई तरह से सोशल वर्क के अलावा कैंसर पीड़ितों के लिए काम किया करती थी।

बिपिन रावत जी की शान उनकी बेटियाँ
जनरल बिपिन रावत जी और उनकी पत्नी मधुलिका रावत जी दो बेटियों के माता पिता थे। बिपिन रावत जी की दोनों बेटियां अपने माता-पिता और देश की शान हैं।

बिपिन रावत जी की शिक्षा
बिपिन रावत जी ने अपनी शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल और सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला में प्राप्त की और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में शामिल हो गए, जहाँ उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ से सम्मानित किया गया। ‘। वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन और यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड में हायर कमांड कोर्स और फोर्ट लीवेनवर्थ, कंसास में जनरल स्टाफ कॉलेज से भी स्नातक थे।

उन्होंने एम.फिल. भी किया। रक्षा अध्ययन में डिग्री के साथ-साथ मद्रास विश्वविद्यालय से प्रबंधन और कंप्यूटर अध्ययन में डिप्लोमा। सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययन पर उनके शोध के लिए, उन्हें चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ फिलॉसफी से सम्मानित किया।

आतंकवादियों का सफाया करने के लिए तुरंत लेते थे निर्णय बिपिन रावत जी
दोस्तों व्यथित होने कारण कुछ संकलन करने मन नहीं कर रहा था। लेकिन फिर सोचा क्यों न भारतमाता के वीर सपूत जनरल बिपिन रावत जी का संक्षिप्त विवरण संकलित करके उन्हें हृदय से स्मरण कर उनका गौरव कर व्यथा को कम किया जाये। विस्तृत जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

क्या आप जानते हैं कि उरी हमले के बाद सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज का आईडिया किसने दिया था वे थे जनरल बिपिन रावत जी। बहुत कम लोगों को इस बारे में पता होगा लेकिन इसके पीछे जनरल बिपिन रावत जी का ही आईडिया था।

अपने 63 साल के अपने जीवनकाल में जनरल बिपिन रावत ने अनेको ऐसे कई काम किए, जो हमेशा लोगों के दिलों में हमेशा याद रखे जाएंगे. दंगों और आतंकवादियों से भरे हुए स्थानों में काम करने के अनुभव को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने दिसंबर 2016 में जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों की सलाह पर आर्मी चीफ बनाया था।
 
जब मणिपुर में जून 2015 में आतंकवादी हमले हुए थे जिसमें भारत के 18 आर्मी जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकियों का नामो निशान मिटा दिया गया था। एक एक आंतकवादी को चुन चुन कर मारा गया था। तब उस समय आर्मी के कमांडर बिपिन रावत जी ही थे, जिन्होंने ऐसा करने के लिए आर्मी को आदेश दिया था।

जनरल बिपिन रावत जी का मिलिट्री कैरियर
बिपिन रावत जी को 16 दिसंबर 1978 को 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में भर्ती कराया गया था। उसी यूनिट में उनके पिताजी भी सेवारत थे। एक मेजर के रूप में, उन्होंने उरी, जम्मू और कश्मीर में एक कंपनी की कमान संभाली। कर्नल के रूप में, उन्होंने किबिथू में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पूर्वी सेक्टर में 5वीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। एक ब्रिगेडियर के रूप में, उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के 5 सेक्टर की कमान संभाली।

इसके बाद उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (MONUSCO) में एक अध्याय VII मिशन में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली, जहाँ उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया गया। मेजर जनरल के पद पर पदोन्नति के बाद, बिपिन रावत जी ने 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन (उरी) के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में पदभार संभाला। एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने पुणे में दक्षिणी सेना को संभालने से पहले दीमापुर में मुख्यालय वाली III कोर की कमान संभाली।

उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) में एक अनुदेशात्मक कार्यकाल, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, मध्य भारत में एक पुनर्गठित आर्मी प्लेन्स इन्फैंट्री डिवीजन (RAPID) के लॉजिस्टिक्स स्टाफ ऑफिसर, कर्नल सहित स्टाफ असाइनमेंट भी संभाला।
सैन्य सचिव की शाखा में सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव और जूनियर कमांड विंग में वरिष्ठ प्रशिक्षक रहने के साथ- साथ उन्होंने पूर्वी कमान के मेजर जनरल जनरल स्टाफ (MGGS) के रूप में भी काम किया।

सेना कमांडर ग्रेड में प्रोमोशन मिलने के बाद बिपिन रावत जी ने 1 जनवरी 2016 को जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) दक्षिणी कमान का पद ग्रहण किया। एक छोटे कार्यकाल के बाद, 1 सितंबर 2016 को उन्होंने थल सेना के उप प्रमुख का पद ग्रहण किया।
जनरल बिपिन रावत आर्मी चीफ से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद भारत के सबसे पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्य किये गए थे। 

सेना में कामयाबी की सीढ़ियां
16 दिसंबर 1978 को जनरल बिपिन रावत मात्र एक सेकंड में लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हुए थे।
साल 1980 में उनको सेना का लेफ्टिनेंट के पद पर प्रोमोसन दिया गया।
साल 1984 में उन्हें आर्मी ने उन्हें एक कप्तान के पद पर नियुक्त किया।
चार साल बाद 1989 उन्हें एक बार फिर से प्रोमोसन देकर आर्मी का मेजर बना दिया ।
करीब 9 साल बाद साल 1998 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल थे।
साल 2003 में वह कर्नल की पोस्ट पर तैनात किये गए।
4 साल बाद साल 2007 में उनके काम करने की कौसलता को देखते हुए उन्होंने ब्रिगेडियर बनाया गया।
एक बार फिर से 4 साल बाद साल 2011 में वह मेजर जनरल बने।
तीन साल बाद साल 2014 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोट हुए।
1 जनवरी 2017 को भारत सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ के पद पर नियुक्त किया। 
दो साल बाद साल 2019 में भारत सरकार ने उनकी योग्यता और कुशल रणनीति कार के लिये भारत के प्रथम चीफ आॅफ दा डिफेन्स स्टाफ नियुक्त किया ।
साल 2019 में संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा पर, जनरल रावत को यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज इंटरनेशनल हॉल ऑफ फ़ेम में शामिल किया गया था।वह नेपाली सेना के मानद जनरल भी रहे ।

परम विशिष्ट सेवा मेडल
उत्तम युद्ध सेवा मेडल
अति विशिष्ट सेवा मेडल
युद्ध सेवा मेडल
सेना मेडल
विशिष्ट सेवा मेडल
सीओएएस कमेंडेशन
आर्मी कमांडर कमेंडेशन

सीडीएस बिपिन रावत का आकस्मिक निधन
08 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में सीडीएस जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहा सेना का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कथित तौर पर, हेलीकॉप्टर में CDS बिपिन रावत, उनकी पत्नी, सुरक्षा कमांडो और एक IAF पायलट सहित 14 लोग सवार थे।
इस दुर्घटना में तेरह लोगों की जान चली गई। मरने वालों में भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी शामिल थे। भारतीय वायु सेना द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को मृत घोषित कर दिया।आज सम्पूर्ण देशवासी व्यथित हैं ।लेकिन सैनिकों की कभी मृत्यु नहीं होती वें अमर होते हैं। भारतमाता की आन-बान-शान जनरल बिपिन सिंह रावत जी की स्मृतियाँ कोटि-कोटि राष्ट्रवासियों के हृदयों में सदैव अमर रहेंगी।सभी राष्ट्रवासी एवं आने वाली पीढियाँ सदैव उनकी ऋणी रहेंगी।

साभार: संकलन
शिवकुमार सैनी (पार्थ)
देहरादून-9412149630/7017961524



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