उत्तराखंड चुनाव: जानिए भाजपा और कांग्रेस को कितनी मिल रही सीट




नवीन चौहान.
जैसे जैसे मतगणना का दिन नजदीक आ रहा है वैसे ही प्रत्याशियों के दिलों की धड़कन भी बढत्रती जा रही है। प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपनी अपनी सरकार आने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में रोज नए समीकरण भी सामने आ रहे हैं। अब जो नए समीकरण चर्चाओ में है उनके अनुसार भाजपा को अधिक सीट मिलती दिख रही है।

चर्चाओं के अनुसार भाजपा और कांग्रेस के अलावा दो-तीन सीटें बसपा जीत सकती हैं जो भाजपा और कांग्रेस के खाते से ही कम होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद जो नतीजे सामने आए वह भी चौंकाने वाले थे. शायद बहुत कम लोगों को पता था कि कांग्रेस 5 साल सत्ता में रहने के बावजूद मात्र 11 सीटों पर सिमट जाएगी और भारतीय जनता पार्टी को इतना बहुमत मिलेगा कि उसे संभालने के लिए तीन-तीन मुख्यमंत्रियों की आवश्यकता पड़ेगी।

2021 के अंत में और 2022 के प्रारंभ में मुख्यमंत्री के रूप में जिस प्रकार से पुष्कर धामी ने प्रदेश के युवाओं में एक विश्वास जगाया है, उससे यह तो स्पष्ट हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी भले ही 57 से कम सीटों पर पहुंच रही है लेकिन वह सरकार बनाती दिख रही है। जबकि कांग्रेस के सामने अपनी खोई विरासत वापस पाने के लिए है। अब देखना यही है कि तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने और हरीश रावत टीम ने संयुक्त रूप से जो प्रयास किया उसके दम पर कांग्रेस प्रदेश में 11 सीटों के स्थान पर 37 सीटों पर पहुंचने में कामयाब होती है या नहीं।

कांग्रेस दावा कर रही है कि वह पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। यानि उसे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस इस बार 11 से बढ़कर 37 पार पहुंचने जा रही है। हालांकि यह केवल आंकलन है परिणाम तो 10 मार्च को आने हैं।

इसके बावजूद जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि वह 60 से अधिक सीटें जीतेगी, कांग्रेस ने कहा है कि वह 48 से अधिक सीटें जीतेगी, आम आदमी पार्टी ने भी अनेक सीटें जीतने का दावा किया है, यह केवल राजनीतिक आंकड़े बाजी है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार कुछ सिटिंग विधायको के टिकट काटे हैं उसकी हानि हो सकती है, कुछ जगह ऐसा भी है कि जहां पति का टिकट काटकर पत्नी को दे दिया। कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पुरोला के विधायक राजकुमार और किच्छा के विधायक राजकुमार यह दोनों ही राजकुमार इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ पाए।

कुछ नेता – नेत्री भी टिकट के दावेदार थे परंतु टिकट नहीं मिला। उन्होंने भी अपनी नकारात्मक उपस्थिति दर्ज कराई है। अनेक विधायकों के बेरुखे व्यवहार, स्वभाव के कारण प्रदेश में अधिकांश जगह आम जनता की नाराजगी दिखी। इसके इतर केंद्र में भाजपा की सरकार एवं प्रदेश में युवा नेतृत्व होने के नाते भाजपा को लाभ मिल सकता है।



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