uttarakhand एक यूनिवर्सिटी दो नियम, असमंजस में कॉलेज और छात्र




नवीन चौहान
उत्तराखंड में अपनी ठपली अपना राग अलापा जा रहा है। कुर्सी पर बैठे व्यक्ति मानको को ताक पर रखकर अपनी मर्जी चला रहे है। ऐसा ही कारनामा उत्तराखंड के एक विश्वविद्यालय ने किया है। विश्वविद्यालय ने निजी और सरकारी कॉलेजों के लिए अलग—अलग नियम लागू कर दिए है। जिसके चलते तमाम कॉलेज प्रबंधक और हजारों छात्र पशोपेश में है। यूनिवर्सिटी निजी कॉलेज प्रबंधकों की बात को सुनने को तैयार नही है। ​उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ठंड के मौसम में कानों में रुई दबाकर सो रहे है। जबकि सचिवालय में कुर्सी पर बैठे अधिकारी हीटर की गर्मी ले रहे है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बेस्ट मुख्यमंत्री का खिताब पाकर खुशी मना रहे है। वही प्रदेश के हजारों छात्र यूनिवर्सिटी के नियमो के सामने बेवसी पर आंसू बहा रहे है।

त्तराखंड के श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की समबद्धता से प्रदेश में करीब 150 स्ववित्तपोषित कॉलेज संचालित है। जबकि करीब 100 रायकीय महाविद्यालय है। इन दो तरह की शिक्षा प्रणाली में संचालित इन कॉलेजों में पहली बार एक अनूठा नियम केबिनेट में पारित हुआ है। इस बार रायकीय महाविद्यालय के छात्रों को साल में एक बार परीक्षा देनी होगी। जबकि स्ववित्तपोषित कॉलेज के छात्रों को एक साल में दो बार सेमेस्टर प्रणाली के तहत परीक्षा देनी होगी। आखिरकार ये झोल किस प्रकार हुआ। इसको समझने की जरूरत है। बीते दिनों राजकीय महाविद्यालय के छात्र संघ चुनाव के दौरान जुलाई अगस्त 2019 माह में प्रदेश के तमाम छात्रों ने सेमेस्टर प्रणाली को खत्म करने के लिए प्रदर्शन किया। प्रदेश में खूब हो हल्ला हुआ। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत छात्रों के समर्थन में आ गए और सेमेस्टर प्रणाली को समाप्त करने का आश्वासन देकर छात्रों की मांग पूरी की और प्रदर्शन को शांत करा दिया। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने शासन को सेमेस्टर प्रणाली समाप्त करने के निर्देश जारी कर दिए। उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के सेमेस्टर प्रणाली को खत्म करने का बयान अखबारों की सुर्खियां बनी तो स्ववित्तपोषित कॉलेज भी मान बैठे कि सेमेस्टर प्रणाली खत्म हो गई। 14 नवंबर 2019 को शासन की बैठक में यह निर्णय पारित हुआ कि​ राजकीय महाविद्यालय में सेमेस्टर प्रणाली खत्म कर दी गई है। 17 दिसंबर 2019 को एकेडमिक काउंसिल की बैठक के दौरान सेमेस्टर प्रणाली राजकीय महाविद्यालय में खत्म करने का फैसला लागू कर दिया गया। जबकि स्ववित्तपोषित कॉलेजों के लिए कोई निर्देश जारी नहीं हुए। इसी बीच मामले में झोल तब आया जब 14 नवंबर की बैठक का हवाला देते हुए निजी कॉलेजों को सूचना दी गई कि पूर्व की भांति ही सेमेस्टर प्रणाली के तहत परीक्षा कराई जायेगी। शासन के इस आदेश के बाद निजी कॉलेज संचालकों में रोष उत्पन्न हो गया। एक प्रदेश में एक ​ही विश्वविद्यालय के दो अलग—अलग नियमों को लागू करने की बात पर कॉलेज प्रबंधक आक्रोषित हो गए। इसी संबंध में निजी कॉलेज संचालकों ने बताया कि समिति के माध्यम से विश्वविद्यालय व विश्वविद्यालय के माध्यम से उत्तराखंड शासन एवं उच्च शिक्षा मंत्री व कुलाधिपति को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जाए कि एक विश्वविद्यालय में सभी छात्रों को समानता उच्च शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। अगर सकारात्मक निर्णय नही होता तो कोर्ट की शरण में जाना चाहिए।



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