योग से स्थापित होता है शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन: कुलपति डाॅ. ध्यानी




नवीन चौहान
वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा कोविड-19 गाइडलाईन का
पालन सुनिश्चित करते हुए आज अपने परिसर में 7वां ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस’’ कार्यक्रम का आयोजन, योग शिक्षिका श्वाति पालीवाल, के निर्देशन में किया गया। जिसमें सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। साथ ही साथ विश्वविद्यालय से सम्बद्धता प्राप्त महाविद्यालयों/संस्थानों द्वारा भी अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस का आफलाईन/वर्चुअल माध्यम से आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी0पी0 ध्यानी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर
सर्वप्रथम अपने सम्बोधन में कहा कि आज का दिन हम भारतवासियों के लिये अत्यंत ही गर्व का दिन है, क्योंकि हमारे देश की योग विद्या जो 5000 वर्षों से भी पुरानी है, को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पूरा विश्व मना रहा है। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि भारतीय आध्यात्म एवं दर्शन में योग के प्रथम गुरू भगवान शिव हैं और प्रथम योग गुरू शिव की योग विद्या का सत्पऋषियों, जिनमें अगस्त्य ऋषि प्रमुख थे। उन्होंने भारतीय उप महाद्वीप में भ्रमण कर योगिक तरीके से दीर्घ जीवन जीने की इस संस्कृति व परम्परा से जनमानस को अवगत कराया। दुनियां में देश की प्राचीन भारतीय योग विद्या से पूरी दुनिया को जागृत कराने में कई महान हस्तियों का बहुत ही बड़ा योगदान है।

इस अवसर पर डाॅ. ध्यानी ने बताया कि महर्षि पंतजलि ने योगाभ्यास की प्रक्रिया प्री वैदिक पीरियड में शुरू करवाई थी। स्वामी विवेकानन्द ने वर्ष 1893 में ‘वल्र्ड पार्लिमेंट आफ रिलीजन्स‘ के शुभ अवसर पर शिकागो, अमेरिका में भारतीय पुरातन योग विद्या के बारे में पश्चिमी देशों को बताकर योग के लिए प्रेरित किया था। बाबा रामदेव ने वर्ष 2003 में योग कार्यक्रम को आस्था टी.वी. चैनल के माध्यम से शुरू किया था, जिसके बाद दुनिया भर के समर्थक उनसे जुड़े और बाबा रामदेव योग के प्रचार-प्रसार में विश्व योग गुरू के रूप में प्रसिद्ध हुए। हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय प्राचीन योग विद्या को वैश्विक मान्यता दिलाने हेतु यूनाईटेड नेशन्स जनरल असेम्बली के 69वें सेशन में दिनांक 27 सितम्बर 2014 को
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने व 21 जून को मनाने का प्रस्ताव किया था, जिस पर 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ के 177 सदस्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गयी थी। डाॅ0 ध्यानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे इन महान विभूतियों पर हमें नाज है और युगों-युगों तक इन विभूतियों के व्यक्तित्व व कृतित्व से भारतीय पीढ़ियां हमेशा गौरवान्वित और प्रेरित होती रहेंगी। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि आज दुनियां में 2 बिलियन से ज्यादा लोग योगाभ्यास करते हैं और भारत विश्व की योग राजधानी स्थापित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक योगा मार्केट लगभग 80 बिलियन डाॅलर से भी ज्यादा का हो चुका है। डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि आज पूरे विश्व में मानव जाति योगाभ्यास कर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन स्थापित कर जीवन मूल्यों में वृद्धि कर रही है और जीवन जीने के लक्ष्यों को प्राप्त कर रही है। अंत में डाॅ0 ध्यानी ने कहा ‘‘योग करें, स्वस्थ और दीर्घ जीवन जियें’’।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम के बाद विश्वविद्यालय में सहजयोग कार्यक्रम का आयोजन एम0एस0 तोमर के निर्देशन में किया गया। जिसका सफलतापूर्वक संचालन वित्त नियंत्रक श्रीमती
कविता नबियाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कुलपति डा0 ध्यानी ने अपने सम्बोधन में श्रीमाता जी निर्मला देवी, जो सहजयोग की ध्वजवाहक थी, के बारे में प्रतिभागियों को विस्तृत रूप से अवगत कराया और कहा कि सहजयोग करने से लोगों को शारीरिक व मानसिक तनाव से मुक्ति और आराम मिलता है। सहजयोग मुख्य रूप से आत्मबोध का प्रचार है, जिससे कुंडलिनी जागृत होती है और व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है।
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव आर0 पी0 गुप्ता
द्वारा किया गया। कार्यक्रम में परीक्षा नियंत्रक डाॅ0 पी0के0 अरोड़ा, सहायक लेखाअधिकारी, सुरेश चन्द्र आर्य, महिला प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डाॅ0 आर0पी0 गंगवार व विश्वविद्यालय और डब्ल्यूआई0टी संस्थान के शिक्षक और कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।



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