लोकसभा में बोलने नहीं दिया जाता तो मैंने चुन लिया जनसभा का रास्ता- पीएम




पीएम नरेंद्र मोदी ने बनासकांठा जिले में शनिवार को नोटबंदी पर एक बार फिर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ”आप सब देख ही रहे हैं कि संसद चल नहीं रही है या यूं समझ लीजिए कि चलने नहीं दी जा रही है। हमारे देश के राष्ट्रपति जिनका सार्वजनिक जीवन में इतना लंबा अनुभव है। शासन चलाने वाले श्रेष्ठतम लोगों में से एक रहे हैं। वो अलग राजनीतिक विचारधारा में पले-बढ़े हैं, लेकिन देश की संसद में जो कुछ हो रहा था, वो उससे इतना ज्यादा दुखी हो गए कि उन्हें दो दिन पहले सांसदों को टोकना पड़ा। विरोध पक्ष को नाम लेकर कहना पड़ा। मैं हैरान हूं कि सरकार कहती है हम चर्चा चाहते हैं। प्रधानमंत्री बोलने के लिए तैयार हैं। संसद में आकर जवाब देने को तैयार हैं, लेकिन उनको मालूम है कि उनका झूठ टिक नहीं पाता है, इसलिए वो चर्चा से भागते हैं। मुझे लोकसभा में बोलने नहीं दिया जाता है, इसलिए मैंने जनसभा में बोलने का रास्ता चुन लिया है। जिन दिन मौका मिलेगा लोकसभा में भी सवा सौ करोड़ लोगों की आवाज पहुंचाने की जरूर कोशिश करूंगा।”यह बात उन्होंने डीसा में डेयरी कंपनी अमूल के एक प्लांट का उद्घाटन में कही।

मैं विरोधी दल के मित्रों से गांधी और सरदार पटेल की धरती से सार्वजनिक रूप से आग्रह करना चाहता हूं।जब चुनाव होते हैं हम सभी दल एक-दूसरे के खिलाफ बोलते हैं। आरोप-प्रत्यारोप करते हैं।अच्छी और बुरी नीतियों की चर्चा करते हैं। हर तरह से अपने विरोेधियों पर वार करने की कोशिश करते हैं।हर पार्टी करती है, लेकिन सभी पार्टियां एक काम जरूर करती हैं।मतदाता सूची को ठीक करना, ज्यादा से ज्यादा लोगों को वोटिंग के लिए जागरूक करना, बटन दबाना सिखाना। एक तरफ तो नीतियों का विरोध करते हैं, दूसरी तरफ सब मतदाता सूची पर ध्यान देते हैं,क्योंकि लोकशाही सबकी जिम्मेदारी है।मैं सभी दलों से कहना चाहता हूं कि आप खुलकर मेरा विरोध कीजिए। मेरे फैसले की आलोचना कीजिए।लेकिन लोगों को ई- बैंकिंग सिखाने के लिए काम कीजिए। देश को आगे बढ़ाइए और तस्वीर बदलिए।राजनीति से ऊपर राजनीति होती है और दल से ऊपर देश होता है।

आतंकवाद के खिलाफ है मेरी लड़ाई- मोदी
इन दिनों पूरे देश में इस बात की चर्चा चल रही है कि नोटों का क्या होगा। आप मुझे बताइए कि क्या 8 तारीख के पहले कोई 100, 50, 20 और 10 के नोट की कोई कीमत थी।लेकिन 8 तारीख के बाद इन छोटे नोटों की कीमत बढ़ गई। छोटे नोट के साथ छोटे लोगों की ताकत बढ़ गई है।यह फर्क मेरे फैसले के बाद आया है। देश  अर्थतंत्र नोटों के ढेर के नीचे ही दबने लगा।
-मेरी लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ हैं। उन्हें जाली नोटों से ताकत मिलती है।हमें तो सब पता है कि सीमा पार क्या होता है, क्योंकि पड़ोस में ही रहते हैं।जाली नोट के कारोबारी हिंदुस्तान से ज्यादा हल्ला बाहर हो रहा है।नक्सलवाद में सारे नौजवान सरेंडर होकर वापस आने लगे हैं।आतंकवाद को जहां से ताकत मिलती थी उन रास्तों को रोकने में हम कामयाब हुए हैं।यह जाली नोट का कारोबार एक फैसले से खत्म किया है।भ्रष्टाचार और कालाधन से सबसे ज्यादा तकलीफ देश के ईमानदार नागरिकों को होती है।70 साल तक इन ईमानदार लोगों को आपने लूटकर परेशान किया। उसका जीना मुश्किल हो गया।आज मैं ईमानदारों के साथ खड़ा हूं तो उन्हें भड़काया जा रहा है, लेकिन वो लोग सरकार के फैसले के साथ खड़े हैं।आजकल बहुत बुद्धिमान लोग भाषण देते हैं कि मोदी जी आपने यह जो फैसला लिया है, इसका हमारे जीते जी तो कोई लाभ नहीं मिलेगा।मेरे देश के लोग मेरे मरने के बाद परिवार का क्या होगा यह सोचते हैं। वो कभी अपने बारे में नहीं सोचता है।

 

मैं गुजराती नहीं बोल रहा हूं ताकि देश के बाकी लोगों को भी पता चले कि बनासकांठा में क्या हो रहा है।25 साल बाद कोई पीएम बनासकांठा आया है। यहां से लोगों ने रेगिस्तान की धरती को सोना बना दिया।पीएम नहीं इस धरती की संतान के रूप में यहां आया हूं।श्वेत क्रांति की शुरुआत यहीं से हुई थी और अब यहां से स्वीट क्रांति की शुरुआत होगी।बनासकांठा ने किसानों को शहद के लिए मधुमक्खी पालन करने की ट्रेनिंग देना शुरू किया।दुनिया में शहद का बहुत बड़ा मार्केट है। अगर हम इसमें आगे निकल जाएं तो फिर कोई नहीं रोक सकता।



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