BABA RAMDEV बाबा रामदेव के पतंजलि गुरूकुलम की लागत 500 करोड़, विवाद शांत, घर—घर कार्ड





नवीन चौहान
स्वामी दर्शनानंद गुरूकुल महाविद्वालय के संस्थापक स्वामी दर्शनानंद जी की जयन्ती पर पतंजलि गुरूकुलम भूमि का बेहद भव्य शिलान्यास कार्यक्रम 6 जनवरी 2023 की सुबह 11 बजे होने जा रहा है।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी सहित तमाम अति विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम की शोभा होंगे। जबकि करीब 50 हजार से अधिक गणमान्य नागरिकों का जनसैलाब इस दिव्य आयोजन का गवाह बनेगा।
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक योगगुरू बाबा रामदेव पतंजलि गुरूकुलम शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्साहित है। वह हरिद्वार के विभिन्न स्थानों पर घर—घर व प्रतिष्ठानों पर जाकर निमंत्रण पत्र बांट रहे है। इसी के साथ पंतजलि योगपीठ के तमाम आर्य छात्र निमंत्ररण पत्र वितरित करने का कार्य कर रहे है। बाबा रामदेव ने करीब 500 करोड़ से अधिक की लागत से पतंजलि गुरूकुलम को बनाने की योजना तैयार की है। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि परिवार की ओर से समस्त तैयारियां युद्य स्तर पर की है। 50 हजार से अधिक लोगों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई है। गुरूकुल को दिव्यता और भव्यता प्रदान करने के लिए खूबसूरत तरीके से सजाया जा रहा है।
विदित हो कि स्वामी दर्शनानंद गुरूकुल महाविद्वालय की स्थापना साल 1907 में तीन बीघा भूमि, तीन चवन्नी और तीन ब्रहमचारियों के साथ की गई थी। निशुल्क चलने वाला एक आवासीय गुरूकुल का गौरवशाली इतिहास रहा। गुरूकुल की इस भूमि ने भारत को आधुनिक भीम के रूप में पहचान बनाने विश्वपाल जयन्त सरीखे कई कई शूरवीर दिए। जिन्होंने लोहे की जंजीरों को दांतो में भींचकर बड़े से बड़े वाहनों के पहिए जाम कर दिए। आंखों से लोहे की मजबूत सरिया को मोड़कर रख दिया। हाथियों जैसा बल जिनकी बाजुओं में रहा। तेल लगे मलखम पर चढ़कर शौर्य प्रदर्शन किया। आग के गोले में निकलकर अपनी ताकत का एहसास किया। ऐसे महावीरों और शूरवीरों की भूमि पर अब आधुनिक गुरूकुलम तैयार होने जा रहा है। जिसकी स्थापना और संचालन योगगुरू बाबा रामदेव करेंगे।
योगगुरू बाबा रामदेव ने समूचे विश्व में योग की क्रांति को धरा पर उतारने का कारनामा किया है। उन्होंने योग को पहचान दिलाई और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद का सम्मान पुर्नजीवित करने का अनूठा काम किया।
गुरूकुल महावविद्यालय की इस पवित्र भूमि पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित ज्वाहर लाल नेहरू, भारत रत्न श्री मती इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह आदि के चरण कमल इस पुण्य धरा पर पड़े और आर्य समाज की पताका समूचे विश्व में गुंजायमान हुई।
हालांकि बीते कई दशकों में यह संस्था ​आपसी खींचतान के चलते विवादों में रही। संस्था के पदाधिकारियों में वर्चस्व की लड़ाई लड़ी। संस्था के पदाधिकारियों का विवाद सड़कों पर सुनाई दिया। गुरूकुल की संस्था से जुड़े लोगों ने अपना एकाधिकार साबित करने के लिए इस शिक्षण संस्थान के विकास में बाधक बन गए।
लेकिन योगगुरू बाबा रामदेव ने इस पुण्य भूमि का जीर्णोधार करने का संकल्प किया और वो अनूठा काम कर दिखाया जो सदियों तक याद किया जायेगा। गुरूकुल की इस भूमि से एक बार फिर आर्य समाज की पताका ऊंचाईयों पर लहरायेगी।



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