बुलंदशहर। यूपी के मुख्यमंत्री को खून से चिठ्ठी लिखने वाली बुलंदशहर की बेटियों की कहानी में मामा की घिनौनी साजिश का सच सामने आया है। दोनों बहनों की आड़ लेकर करोड़ों कमाने के लालच में इन बेटियों के मामा ने एक साजिश रची थी।
दरअसल दोनों बहनों की मां के मर्डर केस में शातिर मामा ने 78 साल की बूढ़ी दादी समेत 8 रिश्तेदारों को नामजद करा दिया, जिनमें 4 महिलाऐं हैं। हैरत की बात यह है कि ये सभी रिश्तेदार मुरादाबाद और खुर्जा में रहते हैं और कई सालों से से इनका मृतका के घर आना-जाना नही था।
बुलंदशहर सिटी में 14 जून 2016 को अन्नू बंसल अपने घर में लगी आग से जल गईं और 20 जून को अन्नू की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस मामले में अन्नू की मां ओमवती ने अपने दामाद मनोज, 78 साल की समधिन स्नेहलता और उनके 6 और रिश्तेदारों पर अपनी बेटी को जलाकर मार डालने का केस दर्ज कराया था। पुलिस ने शुरूआती तफ्तीश में मामला संदिग्ध पाया और मृतका के पति के अलावा किसी की गिरफ्तारी नहीं की। लेकिन सोशल मीडिया के जरिये आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रदेश और केन्द्र की सरकार से अन्नू की दो बेटियों के जरिये की गई इन्साफ की मांग से यह खबर मीडिया की लाइमलाइट में आया।
बेटियों ने अपने खून से सीएम को चिठ्ठी लिखी और यूपी के मुख्यमंत्री ने उनसे मुलाकात कर उन्हें फ्लैट, पढ़ाई का खर्चा, आर्थिक मदद, नानी के इलाज का खर्चा और मामा के लिए सरकारी नौकरी की सौगातें दे दी। पूरा मामला मीडिया की सुर्ख़ियों में छाया रहा, लेकिन इसके पीछे की तस्वीर बेहद दर्दनाक है, जिसमें अपने शरीर से लाचार एक बूढ़ी मां और उसके बच्चों को झूठे मर्डर केस में फंसा दिया गया है। आरोप है कि मामा तरून जिंदल ने बेटियों की आड़ लेकर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करा दिया।
इन बेटियों की दादी अपने बड़े बेटे के साथ 12 वर्षों से मुरादाबाद में रहती है। वह ठीक से देख नही सकती और दिल की मरीज भी हैं। उन्हें दो बार हार्ट अटैक भी हो चुका है, घुटनों का आपरेशन भी हो चुका है। ऐसे में वह किसी का मर्डर करने बुलंदशहर तक कैसे आईं फिर फरार कैसे हो गईं। स्नेहलता के दो बेटी और दामाद भी मुरादाबाद में रहते हैं और उनका 12 सालों से मृतका और उसके पति से राखी तक के संबंध नहीं हैं।
बुलंदशहर के एसएसपी अनीस अंसारी से फरियाद करने आई दादी स्नेहलता ने बताया कि तरूण जिंदल समझौते के बदले उनसे एक करोड़ रूपये की रकम मांग रहा है। स्नेहलता का परिवार इस हैसियत में भी है कि एक करोड़ की रकम दे सके। इसी दबाव के लिए सोशल मीडिया के जरिये तरूण जिंदल ने उनका और उनके परिवार का जीना हराम कर रखा है।
पुलिस की जांच में भी इस केस के सात आरोपियों की लोकेशन घटना के वक्त मौका-ए-वारदात पर नही मिली है। इसीलिए पुलिस ने मृतका के पति के अलावा किसी और को जेल नहीं भेजा। पुलिस जल्द है इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश करेगी। सवाल यह है कि बेगुनाहों को झूठे केस में फंसाने वाले तरूण जिंदल के खिलाफ भी कोई कार्रवाई होगी? जो मासूम बच्चियों को मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगा है।