कोरोना: इंसान की जान पर खतरा आस—पास और लालची इंसान को पैंसा पास—पास




नवीन चौहान
कोरोना वायरस इंसान की जान के आसपास मंडरा रहा है। इस खतरे से बचाव करने का एक बस एक ही तरीका है कि कुछ दिनों घर पर आराम किया जाए। इंसान खुद ना कोरोना वायरल की चपेट में आए और ना ही परिवार और दोस्तों को मुसीबत में डाले। लेकिन लालची प्रवत्ति के इंसान पैंसा कमाने की चाहत में अवैध खनन में करने में मस्त है। ये खनन माफिया अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल रहे और दूसरों के लिए मुसीबत बनने की तैयारी कर रहे है। कुछ इनसे भी बड़े वाले लालची इंसान है। जो जीवन प्रदायिनी मास्क और सेनेटाइजर की ब्रिकी में भी कालाबाजारी कर रहे है। कच्चे बिल थमा रहे और नोटों की गडडी बना रहे है। हद हो गई इन लालचियों से जो मुसीबत की इस घड़ी में पैंसा कमाने की चाहत के चलते इंसान के भेष में राक्षस होने की पहचान दिखा रहे है।
भारत में कोरोना वायरस के संकट को टालने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार, संत महानुभाव और समाजसेवी संस्थाएं बढ़चढ़ जनता को जागरूक कर रही है। सरकारी सिस्टम पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। केंद्र सरकार 24 घंटे जनता की सुरक्षा को लेकर चिंतन, मनन और योजनाओं का क्रियान्वयन करने की तैयारी कर रही है। उत्तराखंड सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए सचिवालय के तमाम अफसर, सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी और मंत्रीगण सभी व्यस्त है। जनता के दिलों से कोरोना के खौफ को दूर करने और प्रकोप से बचाने की योजनाओं पर अमल किया जा रहा है। हरिद्वार जनपद में सरकार और समाजसेवी संस्थाओं की ओर से जनता के बचाव के लिए मास्क और सेनेटाइजर निशुल्क वितरित किए जा रहे है। पत्रकारगण अपनी खबरों के माध्यम से जनता को सुरक्षा के लिए प्रति जागरूक करने पर लगी है। प्रशासन के तमाम सुरक्षा प्रबंधों की जानकारी जनता तक पहुंचा रही है। सरकार, प्रशासन और मीडिया की इन तमाम एक्सरसाइज से दूर कुछ असामाजिक तत्व पैंसों की लूट— खसोट में मस्त है। जी हां हरिद्वार में जहां मास्क और सेनेटाइजर की कालाबाजारी करने की सूचना मिल रही है तो वही ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन जोर—शोर से शुरू हो गया।जिला प्रशासन जनता की जिंदगी बचाने में जुट गया और माफिया सफेद सोना समेटने में लग गए। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि ये लूट खसोट और कालाबाजारी का सिलसिला उस वक्त चल रहा है जब केंद्र और राज्य सरकार एक भयंकर मुसीबत को टालने में संजीदगी से जुटी है। ऐसे में क्या तथाकथित माफिया या कालाबाजारी करने वाले दुकानदार इंसान कहलाने के काबिल है।
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