नवीन चौहान, हरिद्वार। बीमारी को दूर करने वाले विभाग खुद जेब गरम करने वाली गंभीर कैंसर की बीमारी से जूझ रहा है। इस विभाग में बैठे अधिकारी एक घुग्गी बैठाने के लिये लाखों वसूल रहे है। जनता का मर्ज ठीक करने वाले इस विभाग की हरकतों से आजिज आ चुके है। जीरो टालरेंस का ढोंग पीटने वाले बड़े साहब को भी ये नजर नहीं आ रहा है। बड़े साहब का जीरो टालरेंस को रोकने का दावा सिर्फ जुमला बनकर रह गया है। ऐसे में देश और राज्य की जनता में सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
उत्तराखंड के बड़े साहब कुर्सी पर आये तो जीरो टालरेंस का दावा किया गया। जनता को भी लगा कि अब हालात बदल जायेंगे। जनता को सही काम कराने के लिये अधिकारियों की जेब गरम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन हकीकत से कोसों दूर हालात तो बद से बदत्तर नजर आ रहे है। बीमारी को दूर करने वाले विभाग की बात करते है तो यहां से सभी कैंसर से जूझ रहे है। कैंसर भी जेब गरम करने का ऐसा जिसकी कीमोथैरिपी भी संभव नहीं है। जब गहनता से जानकारी जुटाई गई तो मालूम चला कि नीचे से लेकर ऊपर तक सभी बीमार चल रहे है। इन्होंने बाकायदा एक गुर्गा पाल रखा है। जो मर्ज ठीक करने के नाम पर वसूली कर रहा है। जब वह जाता है तो सबको बताता है कि बड़े साहब तक माल जाता है। आप कुछ दोगों तो साहब की घुग्गी बैठेंगी। बरना आपकी फाइल ऑफिस में ही पड़ी रहेगी। बेचारे लोग मरते क्या ना करते जो मांगा वो दे रहे है। इस गुर्गे ने पहले पैन मांगा फिर दस डायरी की डिमांड कर दी। उसके बाद साहब के लिये माल मांगने लगा। जब पीड़ित ने देने का भरोसा दे दिया तो कागज खुद ही पहुंचाने का भरोसा दे दिया। ऐसे में इस कैंसर से जूझ रहे इस बीमार विभाग के अधिकारियों का इलाज कौन करेंगा। बड़े साहब ईमानदार है। इसमें कोई शक नहीं है। वह जनता को सभी बीमारियों से निजात दिलाना चाहते है। इसमे भी कोई शक नहीं है। लेकिन राज्य के विभागों में जेब गरम करने का सिलसिला चल रहा है इसको रोकने की जिम्मेदारी किसकी है।