डीएवी में स्टूडेंटस ने ली तिरंगे की शपथ, भारत माता की जय से गूंजा परिसर




हरिद्वार। डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में वैदिक चेतना सम्मेलन का दूसरा दिन भारत मां के जयकारों से गुंजायमान हो गया। स्कूली बच्चों ने सर्जिकल स्टाइक पर प्रस्तुति देकर अभिभावकों और शिक्षकों की आंखों को नम कर दिया। देश पर जान कुर्बान करने वाले वीर बहादुर जवानों को श्रद्वांजलि दी गई। वहीं तिरंगे के इतिहास की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को राष्टभक्ति से सराबोर कर दिया। डीएवी प्रांगण में उपस्थित सभी लोगों ने राष्ट की एकता और अखंडता को अक्षुण्य रखने और तिरंगे की रक्षा करने की शपथ ली। इसके साथ ही युवा वर्ग में नैतिक मूल्य को बनाये रखने को लेकर परिचर्चा की गई।
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वैदिक चेतना सम्मेलन के दूसरे दिन डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के बच्चों ने राष्टभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम में समा बांध दिया। स्कूली बच्चों ने उड़ी हमले के बाद भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस से पीओके में की गई सर्जिकल स्टाइक पर नाटय प्रस्तुति दी। सीमा पर शहीद हुये जवानों के पार्थिव शरीर और तिरंगे की गौरवगाथा प्रस्तुत की। जिसको देखने के बाद कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथि और अभिभावकों व स्कूली शिक्षकों , बच्चों की आंखे नम हो गई। सभी ने देशभक्ति के नारे लगाये और भारत मां की जय का उदघोष किया। डीएवी स्कूल का प्रांगण देशभक्ति के वातावरण से सराबोर हो गया। शिक्षिका अर्चना तलेगांवकर ने ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी की प्रस्तुति दी। सर्जिकल स्टाइक कार्यक्रम की प्रस्तुति देने वालों में वैभव शुक्ला,गुरुदीप सिंह, विनायक पांचाल, आर्य, अनुवेश वलूनी, पारितोष आहूजा,तन्मया,हरिवंश, साहिल, रितिका, युवराज, ऋषभ, अनमोल और धु्व भाटी विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
भौतिक व आध्यात्मिक समन्वय का नाम ही वेदरू शास्त्री
हरिद्वार। डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में वैदिक चेतना सम्मेलन के दूसरे दिन मुख्य वक्ता गुरुकुल कांगड़ी के पूर्व उप कुलपति प्रोफेसर वेद प्रकाश शास्त्री ने वेद के ज्ञान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भौतिकता वाद के युग में मानव जीवन वेद के द्वारा ही सफल बनाया जा सकता है। जिस पर चलने के लिये मानव को श्रेयस और प्रेयस मार्ग का अनुसरण करना पड़ता है। श्रेयस और प्रेयस मार्ग का अनुसरण करने वाले मानव स्वार्थ की प्रवृत्ति से तालमेल बनाकर मानवता के धर्म का पालन करते है। जिससे वह जगत का कल्याण करने में सफल होते है।
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वैदिक चेतना सम्मेलन का दूसरा दिन नारी सशक्तिकरण के नाम रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि शिक्षाविद वीणा शास्त्री व मुख्य वक्ता गुरुकुल कांगड़ी के पूर्व उपकुलपति वेद प्रकाश शास्त्री स्कूल के प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये वैदिक विद्वान वेद प्रकाश शास्त्री ने कहा कि मुनष्य को संसार में जो कुछ भी आदि मूल आदि ग्रंथों से मिला है वह वेदों के कारण मिला है। मानव जब से धरा पर आया और जीवन का दर्शन कहीं मिला सुख-समद्धि की कामना की गई तो शांति के मार्ग पर वेद के कारण मिला है। मानव के जीवन में सार, संक्षेप और व्यापक रुप के रोम-रोम में वेद बसा है। उन्होंने कहा कि भौतिक और आध्यात्मिक दो मार्गों के समन्वय से ही संसार चलता है। इस  संयुक्त समन्वय का नाम ही वेद है उसी संपत्ति का नाम वैदिक संपत्ति है और उसी संचेतना का नाम ही वैदिक चेतना है। संसार में भौतिकता के बिना मानव आगे नही बढ़ सकता है। भौतिकता आध्यात्मिकता  के बिना नहीं मिल सकती। इसीलिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने मानव जगत को जीवन जीने के लिये प्रेयस और श्रेयस दो मार्ग दिये। प्रेयस अर्थात स्वार्थ को श्रेयस अर्थात उपकार समाजसेवा को जोड़कर चलने वाला मनुष्य समाज में श्रेष्ठ  आर्य कहलाता है। मुख्य अतिथि वीणा शास्त्री ने कहा कि आर्य समाज की संस्था डीएवी स्कूल देश के विभिन्न राज्यों में आर्यो का निर्माण कर रही है। आज देश को अपने विरोधियों और आंतकी शक्तियों से सुरक्षित बचाकर रखने के लिये आर्यों की जरूरत है। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कहा कि स्कूलों का कार्य बेहतर शिक्षा देना और आर्यो का निर्माण कर श्रेष्ठ नागरिक बनाना है। अभिभावकों के बिना ये कार्य पूरा नहीं हो सकता है। अभिभावकों को बच्चों के साथ समय निकालकर बैठना और बच्चों का समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहना चाहिये। स्कूल बच्चों को श्रेष्ठ बनाने के लिये संकल्पबद्व है। जिस कार्य को पूरी ईमानदारी से करने का प्रयास कर रहे है। कार्यक्रम में बच्चों की देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियोें ने अभिभावकों और शिक्षकों की आंखों को नम कर दिया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि आचार्य करुणेश, ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज की प्रोफेसर मीना आहूजा और समाजसेवी चिकित्सक डा पूनम गंभीर ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।
कुरीतियों से दूर रहने वाले बच्चे बनते हैं श्रेष्ठ
हरिद्वार। डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में वैदिक चेतना सम्मेलन के दूसरे दिन नैतिक मूल्य एवं युवा वर्ग पर परिचर्चा की गई। इस परिचर्चा में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविघालय के पूर्व उप कुलपति वेद प्रकाश शास्त्री ने कहा कि बच्चों में नैतिक मूल्य बढ़ाने की माता पिता और आचार्य की जिम्मेदारी है। जिसमें सबसे ज्यादा दायित्व माता के कंधों पर होता है। माता ही बच्चों में नैतिक मूल्य को बढ़ा सकती है।
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गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय के डा.योगेश शास्त्री ने बच्चों का शिक्षा के प्रति मार्ग दर्शन किया। उन्होंने बताया कि जीवन में श्रेष्ठ बनने के लिये अभिभावकों को आर्दश प्रस्तुत करना चाहिये। बच्चों के मन में अच्छे संस्कार भरने के लिये अभिभावकों को मार्ग प्रशस्त करना चाहिये। समाज की कुरीतियों से दूर रहने वाले अभिभावकों के बच्चे ही श्रेष्ठ नागरिक बनकर राष्ट की सेवा करते है। इसके साथ ही प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने कहा कि स्कूलों का कार्य तो खाद-पानी देना है। बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण को घर से ही होता है। माता-पिता को बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य को समझना चाहिये। स्कूल के टीचर बच्चों के छह घंटे के अभिभावक ह जबकि 18 घंटे माता-पिता बच्चों की देखभाल करते है। उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा कि आम के पेड़ पर आम ही उगेंगे बेर नहीं  उग सकते है। अर्थात जैसा संस्कार घर से मिलेगा बच्चा वैसा ही आगे चलकर बनेगा। उन्होंने कहा कि घर पर माता-पिता को बच्चों से बातचीत का क्रम बनाकर रखना चाहिये। स्कूल की टीचर अनीता स्रातिका ने कहा कि बच्चों में नैतिक मूल्यों को बढ़ाने के लिये भारत की पुरानी सनातन संस्कृति को अपनाना होगा। संयुक्त परिवारों के बच्चे एकल परिवारों से ज्यादा संस्कारवान होते है। सभी पौराणिक त्यौहारों को परिवार के सभी सदस्यों को मिलजुल कर मनाना होगा। तभी बच्चों में नैतिक मूल्य का इजाफा होगा। अभिभावक डा.ऋषि शुक्ला ने कहा कि बच्चों को समय प्रबंधन पर फोकस करना चाहिये। नियमित दिनचर्या नैतिक मूल्य को बढ़ाती है। कार्यक्रम का संचालन टीचर मनोज कपिल और प्रतिमा सक्सेना ने संयुक्त रुप से किया। इस कार्यक्रम को अभिभावकों की ओर से सराहा गया।


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