डीपीएस के प्रधानाचार्य डॉ जग्गा बोले नई शिक्षा नीति से होगा भारत का नव निर्माण




नवीन चौहान
डीपीएस रानीपुर के प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने कहा कि भारत सरकार की नई शिक्षा नीति से भारत का नव निर्माण होगा। भारत के युवा ही श्रेष्ठ नागरिक बनकर देश को विश्व गुरू का दर्जा दिलाने में कामयाब होंगे। खेल-खेल में पढ़ाई करने वाले बच्चे अपने मानसिक और शारीरिक क्षमता के अनुरूप ही अपने जीवन को दिशा प्रदान करेंगे।

उत्तराखंड में सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति को अमल में लाई। जबकि नई शिक्षा नीति को लागू करने वाला सबसे पहला प्रदेश उत्तराखंड है। उत्तराखंड के देहरादून में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह रावत की मौजूदगी में 12 जुलाई 2022 को नई शिक्षा नीति का शुभारंभ किया गया। हरिद्वार डीपीएस रानीपुर के प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने नई शिक्षा नीति का स्वागत किया है। श्री जग्गा ने अभिभावकों के लिए बेहद ही सरल शब्दों में नई शिक्षा नीति को स्पष्ट किया और इसके
फायदे बताए।

डॉ जग्गा ने बताए नई शिक्षा नीति के लाभ
डॉ अनुपम जग्गा विद्वान होने के साथ-साथ सकारात्मक सोच के धनी है। वह स्कूल में बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अभिनव प्रयोग करते रहे हैं। ऐसे में नई शिक्षा नीति के संबंध में प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा के विचारों को अभिभावकों तक पहुंचाने का कार्य न्यूज127 ने किया है।

दुनिया में भारत होगा सबसे युवा जनसंख्या वाला देश
डॉ अनुपम जग्गा ने बताया कि ज्ञान के परिदृश्य में पूरा विश्व तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। लेकिन एक भी सत्य है कि भारत दुनिया का सबसे युवा जनसंख्या वाला देश होगा। ऐसे में डाटा विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान और गणित जैसे विषयों में कुशल वैज्ञानिकों की मांग लगातार बढ़ रही है। पर्यावरण में बढ़ती हुई समस्याओं और लगातार बढ़ती हुई ऊर्जा, भोजन, पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं को पूरा करने के लिए भी जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, कृषि विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में भी नए विचारों या नई रिसर्च में विषेषज्ञों की जरूरत बढ़ती जा रही है।

21वीं सदी के अनुरूप तैयार हो विद्यार्थी
ऐसे में बहुत जरूरत है कि हमारी शिक्षण प्रणाली शिक्षार्थी केंद्रित होनी चाहिए और उसके लिए क्रियोसिटी अर्थात जानने की इच्छा, रिसर्च, अनुभव और कम्युनिकेशन आधारित एवं रूचिपरक होनी चाहिए। शिक्षा से चरित्र का संपूर्ण निर्माण हो और विद्यार्थियों में 21वीं सदी के अनुरूप ही ज्ञान विकसित किया जाए। नई शिक्षा नीति में इन सभी पहलूओं को बड़ी बारीकी से ध्यान रखा गया है, ताकि कम आयु से ही बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास लक्ष्य केंद्रित हो।

नई शिक्षा नीति के कुछ मुख्य बिंदु
सबसे पहले शिक्षा नीति 10+2 वाली स्कूल व्यवस्था को 5+3+3+4 फॉर्मूला की व्यवस्था में पुर्नगठित किया गया है। जिसमें सबसे पहले 5 साल का फाउंडेशन कोर्स 3 से 8 साल तक के बच्चे के लिए होगा। जिससे बच्चे का होलिस्टिक डेवलपमेंट अर्थात समग्र विकास किया जा सके।

बाल वाटिका से ही संवरेगा भविष्य
उत्तराखंड में बाल वाटिका का शुभारंभ हो चुका है। खेल-खेल के माध्यम से बौद्विक और शारीरिक विकास किया जायेगा। तीन से चार साल का बच्चा आगंनबाडी या बाल वाटिका में होगा। 3 से 4 साल बाल वाटिका 4 से 5 का बच्चा प्रेप स्कूल 6 से 7 साल का बच्चा कक्षा 1 में आयेगा। इस आयुवर्ग में खेल-खेल के माध्यम से पढ़ाना है और बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास को ध्यान में रखकर चलना है। उसके बाद कक्षा 1 और कक्षा 2 में किताब से भी जोड़ने का प्रयास किया जायेगा। बच्चे को पढ़ना, लिखना और अंकों से जोडने का प्रयास करेंगे।

कक्षा 3 से 5 तक रचनात्मक शिक्षण प्रणाली
कक्षा तीन से पांच तक की कक्षाओं में 8 से 11 साल के बच्चों को रचनात्मक शिक्षण प्रणाली के माध्यम से पढ़ाया जायेगा। जिसमें बच्चों की नॉलेज और लेखन क्षमता को विकसित किया जायेगा। जिससे बच्चा एक मिनट के भीतर 35 शब्दों को पढ़ने और साथ ही लिखने में निपुण हो सके। इसी के साथ गणित की सरल गणना को आसानी से कर सके और उनकी इन क्षमताओं को ट्रैक किया जाएगा। बच्चों को परीक्षा पास करने या रटट प्रथा से मुक्ति दिलाने का प्रयास भारत सरकार की और से किया गया है। पढ़ाई बोरिंग ना होकर मनोरंजक हो। ताकि बच्चा पढ़ाई को आनंदित होकर कर सके।

कक्षा 6 से 8 तक स्किल डेवलपमेंट की शिक्षा
अगला चरण कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए है। इन बच्चों को स्किल डेवलपमेंट आधारित शिक्षा दी जायेगी। नई शिक्षा नीति में कक्षा 6 से 8 के बच्चों को छठी कक्षा से ही प्रोफेशनल और स्किल आधारित शिक्षा दी जाएगी। स्कूल में ही बच्चे को भविष्य के लिए जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी। पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। नेशनल एसेसमेंट सेंटर बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का वक्त-वक्त पर परीक्षण करेगा। सप्ताह में एक दिन बस्तारहित कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इस दौरान बच्चों के स्किल डेवलपमेंट के लिए इंडस्ट्री, हैंडीक्राफ्ट वर्कर और तमाम विद्याओं के अनुभवी लोगों को बुलाकर ट्रेनिंग दी जायेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बच्चों का स्किल डेवलपमेंट करना है। बच्चों को किताबी कीड़ा नहीं बनाना है।

स्मारकों पर बच्चों को कराया जाएगा भ्रमण
अलग-अलग तरह के कलाकारों से मिलाया जायेगा। पर्यटक स्थलों और स्मारकों पर बच्चों को लेकर जाया जायेगा। विद्यार्थियों की प्रतिभा की पहचान और उनकी क्षमताओं एवं उनकी प्रतिभाओं का पोषण करने के लिए विषेष कार्यप्रणाली होगी जिससे की वे अपनी क्षमताओं के अनुसार अपनी सीखने की प्रक्रिया को तेज करने में सक्षम हो। 9 से 12 तक बच्चों में किसी प्रकार की स्ट्रीम की बाध्यता नहीं होगी। स्कूल के सामर्थ्य अनुसार बच्चा कोई भी विषय ले सकता है। नई शिक्षा नीति को लागू करने के पीछे सरकार की सोच बच्चों के स्किल को डेवलपमेंट करना है।

इस सम्बंध में डॉ अनुपम जग्गा ने डीपीएस द्वारा किए गए प्रयासों के विषय में बताया कि देश की अग्रणी संस्था होने के नाते डीपीएस सोसाईटी के चेयरमैन पद्मभूषण श्री वी के शुंगलू के नेतृत्व में सभी शिक्षकों को नई शिक्षा निति के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित कर दिया गया है और विद्यालय में सभी स्तर पर नई शिक्षा प्रणाली के बिन्दुओं के अन्तर्गत अनुपालन की सतत प्रक्रिया चल रही है।



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