डॉ पीपी ध्यानी का स्वर्णिम कार्यकाल, ईमानदारी और पारदर्शिता बेमिशाल, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की नींव हुई मजबूत





नवीन चौहान
श्रीदेव सुमन विश्वविद्वालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने अपनी ईमानदारी और पारदर्शी कार्यशैली से विश्वविद्यालय की नींव को मजबूत कर दिया है। उच्च शिक्षा में उच्च मापदंडों को स्थापित किया तथा छात्रों को राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने छात्र—छात्राओं के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा प्रणाली में कई सुधार दिए तथा नकल प्रथा को बंद कराने में महती भूमिका अदा की।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के इतिहास में कुलपति डॉ पीपी ध्यानी का कार्यकाल स्वर्णिम है। उन्होंने कुलपति की कुर्सी पर काबिज होने के बाद से ईमानदारी और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। छात्र हित में व्यापक कदम उठाए। निजी कॉलेजों की मनमानियों पर अंकुश लगाया। लेकिन छात्र हित सर्वोपरि रखा। एक आर्दश कुलपति के तौर पर अपनी छवि प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को अनुशासित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। करीब तीन सालों से विश्वविद्यालय ने कई कीर्तिमान बनाए।
लेकिन कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने अपनी कार्यशैली में कोई बदलाव नही किया। उन्होंने सभी को ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा दी। छात्रों को अपने भविष्य के लिए संजीदगी से शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया। इसी क्रम में कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने ओंकारानन्द सरस्वती राजकीय महाविद्यालय, देवप्रयाग, टिहरी गढ़वाल का औचक निरीक्षण किया। कुलपति ने परीक्षा से सम्बन्धित सभी व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। जिसमें सभी व्यवस्थायें चाक चौबंद पायी गयी।
कुलपति ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ दिनेश कुमार एवं शिक्षकों के साथ शिक्षा के उन्नयन एंव राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सम्बन्ध में विस्तृत विचार विमर्श किया गया तथा महाविद्यालय की व्यवस्थाओं को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की गयी।



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