राजनैतिक सफर में विरोधियों के बीच बेदाग रहे निशंक




नवीन चौहान
उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा नाम बन चुके पूर्व मुख्यमंत्री व हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक अपने राजनैतिक जीवन में विरोधियों के तमाम आरोपों के बाद भी हमेशा बेदाग रहे। भाजपा की नीतियों को जन-जन तक पहंुचाने की उनकी कार्यशैली और पार्टी पर अटूट विश्वास रखने की काबलियत ने उनके कद को ऊंचाईयों प्रदान की। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक राजनैतिक के क्षेत्र में आगे की ओर बढ़ रहे है। हालांकि भाजपा के ही कई नेताओं ने उनके राजनैतिक जीवन में अड़चने तो पैदा की लेकिन उनके बढ़ते प्रभाव को कम करने में नाकाम रहे। मृदुभाषी निशंक की सबको साथ लेकर चलने की क्षमता ने प्रदेश की जनता के बीच भाजपा को मजबूत किया है।
उत्तराखंड जनपद के पौड़ी ग्राम पिनानी निवासी रमेश पोखरियाल निशंक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते है। स्कूली दिनों में करीब सात किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचने वाले निशंक ने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा। निशंक ने जनता उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय दमदेवल से हाईस्कूल की परीक्षा उर्त्तीण की। अभावग्रस्त जीवन में किसी तरह हाईस्कूल तो कर लिया लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए परिजनों ने निशंक को उत्तरी हरिद्वार के एक संस्कृत स्कूल में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करने के लिए छोड़ दिया। आश्रम में रहने के दौरान ही निशंक ने हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर ही पहली बार छुक-छुक टैªन में लोगों को सफर करते देखा। बचपन से ही मेघावी रहे निशंक के मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना पैदा हो गई। महज 232 रूपये मासिक वेतन से सरस्वती शिशु मंदिर में आचार्य की पहली नौकरी की शुरूआत की। जिसके बाद वह प्रधानाचार्य की कुर्सी तक पहुंचे। इसी बीच उनके दिल में लेखन कार्य करने की जिजीविषा उत्पन्न हो गई। निशंक ने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। दैनिक अखबारों में बतौर पत्रकार कार्य करने लगे। पत्रकार बनने के बाद भी निशंक बेदाग रहे। इसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी से प्रभावित होकर एक सामान्य पत्रकार रमेश पोखरियाल निशंक ने राजनैतिक क्षेत्र में अपने कदम बढ़ा दिए। यूपी के जमाने में साल 1991 में कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर पहला विधानसभा चुनाव जीतकर निशंक विधानसभा पहुंचे। जिसके बाद लगातार तीन बार विधायक बने और दो बार केबिनेट मंत्री का पद मिला। यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री और उसके बाद मुख्यमंत्री रामप्रकाश गुप्त के मंत्री मंडल में उनको संस्कृति, पूर्व एवं धर्मस्व मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई। इस जिम्मेदारी पर भी निशंक पूरी तरह से खरे उतरे।
उत्तराखंड गठन में अहम भूमिका
उत्तराखंड राज्य का गठन कराने में अहम भूमिका निभाने वाले निशंक को पहली निर्वाचित सरकार में मंत्रीमंडल में जगह मिली।प्रदेश के वित्त और नियोजन मंत्री बनाये जाने के साथ ही 12 विभागों के कैबिनेट मंत्रालयों कही जिम्मेदारी भी दी गई। इन सभी जिम्मेदारियों पर भी निशंक पूरी तरह से खरे उतरे।
हरिद्वार की रिंग रोड़ निशंक की देन
साल 2014 में पहली बार हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने उतरे रमेश पोखरियाल निशंक ने करीब पौने दो लाख मतों से जीत दर्ज कर एक कीर्तिमान बनाया। निशंक ने हरिद्वार के दलित बाहुल्य सीट पर अपनी पकड़ मजबूत की। निशंक जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे। संसद पहुंचे तो हरिद्वार के विकास के लिए लोकसभा में खूब आवाज उठाई। जिसका नतीजा ये रहा कि हरिद्वार में रिंग रोड़ बनने का कवायद शुरू हो पाई।
कुंभ को दिलाई विश्व पटल पर पहचान
27 जून 2009 को डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री के कार्यकाल में निशंक ने साल 2010 में हरिद्वार महाकुंभ को सकुशल संपन्न कराकर विश्व पटल पर एक अलग पहचान दिलाई। कुंभ पर्व में हरिद्वार में लगी लाखों संतों और आस्थावान श्रद्धालुओं की भीड़ को सकुशल उनके गंतव्य तक भिजवाने का श्रेय भी निशंक के खाते में गया। नासा ने भी इस कुंभ पर्व को सराहा। जिसके चलते निशंक की ख्याति भारत में ही नही अपितु पूरे विश्व पटल पर स्थापित हुई।
विरोधियों पर भारी रहे निशंक
मुख्यमंत्री बने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक पर विरोधी पार्टियों ने कुंभ महापर्व में घोटाले के आरोप लगाकर खूब हल्ला मचाया। उनके विरोधियों ने निशंक के विजय रथ को रोकने का प्रयास किया तथा बढ़ते राजनैतिक वजूद पर संकट खड़ा करने की कोशिश की गई। लेकिन निशंक इन आरोपों के बीच बेदाग रहे। विरोधी कोई भी आरोप साबित नही कर पाए। निशंक का राजनैतिक कद वक्त के साथ बढ़ता ही गया।
वरिष्ठ पत्रकार गोपाल रावत बोले
हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल के मित्र गोपाल रावत ने बताया कि निशंक बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे है। गरीबों के हितों का ध्यान रखना और विकास को लेकर उनका विजन साफ है। एक विजन के तहत ही किसी भी काम को पूरा करने की क्षमता उनके भीतर है। उन्होंने बताया कि निशंक की सबसे बड़ी खूबी है कि वो अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलते है। यही कारण है कि वो आज तक कोई चुनाव नही हारे। पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी उनको दी उसको पूरे मनोभाव से पूरा किया। विपक्षी पार्टियों का कार्य विरोध करना ही होता है। लेकिन निशंक की बेदाग छवि अपने आप में एक मिशाल है।

 



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