पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बच्चों को बताया भगवान का रूप, कहा बच्चों को सही गलत का बोध करवाना बेहद जरूरी




नवीन चौहान.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से ‘बच्चों में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति, रोकथाम और पुनर्वास’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला के समापन अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंन्द्र सिंह रावत ने प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। बच्चों में नशे का कारण हमें ढूंढना होगा। बच्चों को सही दिशा देने के लिए माँ का स्वस्थ और सशक्त होना बेहद जरूरी।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें बच्चों को सही गलत का बोध करवाना बेहद जरूरी है। हमें नैतिक मूल्यों को समझना होगा। उन्होंने कहा कि हमने नशे को काफी हद तक रोकने का काम किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की प्रथम पाठशाला परिवार होती है जहाँ अपने परिजनों की छाया तले बैठकर वो अपनी सुसुप्त क्षमता व प्रतिभा को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे संस्कारवान हों इसके लिए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उन्हें सही दिशा प्रदान करें।

पूर्व सीएम ने कहा कि बच्चों को नशे की लत से बाहर निकलने के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा बेहतरीन प्रयास किए जा रहे हैं। जीवन अमूल्य है इसलिए नशा छोड़कर जीवन को अपनाएं। कार्यशाला में धर्मपूर विधायक श्री विनोद चमोली और उत्तर प्रदेश, चण्डीगढ़ समेत कई प्रदेशों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष अथवा सदस्य मौजूद रहे।



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