गुरूनानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव बड़ी धूूमधाम से मनाया




सोनी चौहान
गुरूनानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव बड़ी धूूमधाम और हर्षोउल्लास से मनाया गया। ज्वालापुर कटहरा बाजार स्थित श्री गुरूसिंह सभा गुरूद्वारे में गुरूनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। प्रकाशोत्सव के अवसर पर मंगलवार सवेरे आठ बजे शुरू हुआ कार्यक्रमों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। आयोजित किए गए कार्यक्रमों के तहत सर्वप्रथम गुरूद्वारे में दीवान सजाकर श्रीगुरू ग्रंथ साहब को स्थापित किया गया। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरूद्वारे पहुंचकर गुरू ग्रंथ साहब के आगे माथा टेका और सुख शांति की अरदास की। रागी जत्थे ने शबद कीर्तन कर श्रद्धालुओं को निहाल किया। देर शाम रूद्रपुर से आए कथावाचक हरप्रीत सिंह ने गुरूनानक देव के जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवता को एकता व भाईचारे का संदेश देने वाले श्री गुरूनानक देव महान समाज सुधारक थे। गुरूनानक देव ने समाज में फैली भ्रांतियों का खण्डन करते हुए ज्ञान का प्रकाश फैलाया। उनका मानना था कि सभी मानव एक समान हैं। किसी के साथ भी जातिगत या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सभी धर्म समान रूप से सम्मानीय हैं। ईश्वर एक है। सभी को ईश्वर के दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा में योगदान करना चाहिए।

मेयर अनिता शर्मा ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरूनानक देव की शिक्षाएं आज भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं को जीवनचर्या में आत्मसात करने की आवश्यकता है। स्थापना के बाद से ही सिख समाज देश की तरक्की में योगदान करता रहा है। देश को आजाद कराने व आजादी के बाद तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ाने में भी सिख समाज ने हमेशा आगे बढ़कर आगे योगदान किया है। कृषि, व्यापार, शिक्षा, सेना, प्रशासनिक सेवाओं सहित तमाम क्षेत्रों में सिख समाज देश के प्रति अपना योगदान कर रहा है।

गुरूद्वारा कमेटी के प्रधान सरदार सतपाल सिंह चौहान ने कहा कि देश दुनिया को समाजसेवा का संदेश देने वाले महान संत गुरूनानक देव की पांच सौ पचासवीं जयंती पर उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए देश व मानव सेवा में योगदान करना के संकल्प सबको लेना चाहिए। मानव सेवा को सर्वोपरि मानने वाले गुरूनानक देव ने लंगर की स्थापना कर दरिद्र नारायण की सेवा को जो मंत्र समाज को दिया था। सबको उसे जीवन में धारण करना चाहिए। गुरूनानक देव का मानना था कि मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है।

कार्यक्रम के समापन उपरांत श्रीगुरू ग्रंथ साहब के सुखासन की प्रक्रिया की गयी। इसके उपरांत अटूट लंगर बरताया गया। इस अवसर पर सचिव सरदार लाहौरी सिंह, कोषाध्यक्ष सरदार जोगेंद्र सिंह, मीत प्रधान सरदार दलजीत सिंह, सरदार हरमीत सिंह, संयुक्त सचिव सरदार जगजीत सिंह, राजेंद्र ओबराय, पूर्व सभासद अशोक शर्मा, सुनील कुमार, देवेश गौतम आदि सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।



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