सोनी चौहान
गायत्री परिवार के तत्त्वावधान में हैदराबाद में गायत्री अश्वमेध महायज्ञ का शुभारंभ हो गया। करीब चार किमी लंबी भव्य कलश यात्रा में आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि प्रांंतों सहित कई देशों से आये श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वहीं शांतिकुंज की अधिष्ठात्री शैलदीदी के नेतृत्व में गायत्री अश्वमेध महायज्ञ हेतु देवावहन का क्रम विशिष्ट वैदिक कर्मकाण्ड के साथ सम्पन्न कराया गया। माना जा रहा है कि इस आध्यात्मिक अनुष्ठान से तेलंगाना राज्य सहित दक्षिण भारत में विकास की नई संभावनाएँ जन्म लेंगी।
श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि अश्वमेध गायत्री महायज्ञ के इस प्रयोग से तेलंगाना सहित दक्षिण भारत में सांस्कृतिक एवं नैतिक उत्थान का नया आयाम खुलेगा। इस यज्ञ से राष्ट्र के सांस्कृतिक नवोन्मेष एवं राष्ट्र का पराक्रम बढ़ने के साथ खुशहाली के पथ प्रशस्त होंगे। उन्होंने कहा कि अश्वमेध महायज्ञ आसुरीवृत्तियों के विनाश के लिए होता है। शैलदीदी ने कहा कि महायज्ञ से ऋद्धि, सिद्धि की वर्षा होगी, जिससे आम लोग अच्छाइयों की ओर बढ़ेंगे। राज्य की सुख, समृद्धि के लिए वैदिक मंत्रों के साथ विशेष आहुतियाँ भी दी जायेंगी।
शांतिकुंज व्यवस्थापक शिवप्रसाद मिश्र ने बताया कि गायत्री अश्वमेध महायज्ञ संपूर्ण 46वाँ तथा दक्षिण भारत का पाँचवाँ महायज्ञ हैदराबाद में प्रारंभ हुआ। यह महायज्ञ राष्ट्र की प्रगति एवं समृद्धि के विशेष प्रयोजन के साथ सम्पन्न किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यज्ञ संचालन के लिए शांतिकुंज से उच्च प्रशिक्षित यज्ञाचार्यों एवं संगीत की टीम पहुंची है। वहीं तीन माह पूर्व से महायज्ञ की तैयारी के लिए शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता डॉ बृजमोहन गौड़ के नेतृत्व में निर्माण विभाग की टीम एवं स्वयंसेवकों का एक बड़ा दल गया है।