नवीन चौहान
जिंदगी से ज्यादा जरूरी कोई काम नही होता है। अगर जिंदगी रही तो काम तो बाद में भी हो सकते है। फिर ऐसे कठिन दौर में घर पर आराम करने का विकल्प सबसे बेहतर है। तो सभी लोग घर पर आराम करें। खुद भी कोरोना की चपेट में ना आए और ना ही दूसरों के लिए मुसीबत का कारण बने।
विश्व में कोरोना का प्रकोप फैला है। जिसकी जद में भारत भी आ चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सभी भारतवासियोें को स्वेच्छा से घर पर रहने की हिदायत दी। जनता क्रफ्यू के नाम से 22 मार्च 2020 को पूरे भारतवासियों ने घर पर रहकर इस मिशन को सफल बनाया। लेकिन कोरोना के प्रकोप को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने एक बार इस जनता क्रफ्यू को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया। ऐसे में सभी भारतवासियों को इस बीमारी से मुक्ति पाने के लिए घरों में रहकर ही आराम करने बेहतर होगा।
अब बात करते है आपके जरूरी काम की। जिनके लिए आपको निकलना बहुत जरूरी है। तो ये समझने की बात है कि जिंदगी से बढ़ा कोई जरूरी काम नही होता है। फिलहाल के दिनों में सरकार ने जनता को संकट से उबारने के लिए तमाम छूट प्रदान कर दी है। ऐसे में आपको भी घर पर बैठकर वक्त बिताना चाहिए और आत्ममंथन करना चाहिए। ये वक्त खुद से बातचीत करने का भी है। मनुष्य को ये सोचना जरूरी है कि हम कर क्या कर रहे है। पैंसा कमाने की चाहत में अपनी ही प्रकृति से खिलबाड़ तो नही कर रहे है। अगर ऐसा है तो इसकी सजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
मानव जीवन में प्रकृति का अहम रोल है। प्रकृति के बिना मनुष्य का पृथ्वी पर कोई जीवन नही। जल, जंगल, जमीन, वायु, अग्नि के बिना हम एक पल भी जी नही सकते है। लेकिन विचारणीय बात ये है कि प्रकृति को जो सम्मान मनुष्य की ओर से दिया जाना चाहिए, वो दिया नही गया। मानव अपनी भौतिक बस्तुओं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रकृति का ही दोहन करने लगा। प्रकृति को नष्ट किया जाने लगा। मनुष्य के स्वभाव में लोभ लालसा बढ़ गई। जिसके चलते मानव जीवन के जरूरी नियमों को छोड़कर धन के पीछे भागने लगा। धन कमाने के लिए झूठ का सहारा लिया जाने लगा और पाप की राह पकड़ ली। जिसका नतीजा ये रहा कि मनुष्य बेहद स्वार्थी हो गया। आपसी रिश्तों में प्रेम और सौहार्द की कोई जगह नही बची। पारिवारिक रिश्तों और मित्रों और सामाजिक संबंधों को देखने का पैमाना धन रह गया। दोस्तों ये बात लिखने की जरूरत आज इसीलिए आई कि हम सभी जिंदगी के कठिन दौर से गुजर रहे है। जहां पर धन का कोई महत्व नही है। मनुष्यों को अपनी जिंदगी के लिए अगर किसी का सहारा है तो सिर्फ प्रकृति का है। प्रकृति ही मनुष्य को इस मुसीबत के वक्त से बाहर निकाल सकती है। बरना लोभ, लालच, रिश्वत की कमाई सब धरी रह जायेगी। आपकी लग्जरी वाहन को चलाने वाला नही होगा। आलीशान घर की दीवारों पर पेड़ पौधे उग जायेंगे। प्रकृति आपकी कमाई हुई इस रिश्वत की दौलत को खुद अपने कब्जे में कर लेंगी। ऐसे में आपको इस पर विचार करना जरूरी होगा। कि हम मनुष्य किस राह पर है। ऐसे में प्रकृति का सम्मान करने की सबको जरूरत है।