धामी केबिनेट में मदन की राह नही आसान, निशंक गुट से परेशान





नवीन चौहान
धामी केबिनेट में हरिद्वार विधायक मदन कौशिक को जगह मिलना आसान नही है। प्रदेश अध्यक्ष पद से उनका एकाएक इस्तीफा ही राजनैतिक कद के लिए बड़ा झटका है। हालांकि उनकी राह में यूं तो कई रोढ़े है। लेकिन निशंक गुट से मदन की अदावत ही सबसे बड़ी परेशानी का सबब है। वर्तमान में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ही स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के करीबी है। ऐसे में मदन कौशिक को राजनैतिक जीवन की अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरना होगा।
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के नेतृत्व परिवर्तन के वक्त तत्कालीन केबिनेट मंत्री मदन कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली थी। लेकिन उत्तराखंड भाजपा में आए भूचाल में त्रिवेंद्र सरकार में नंबर दो की पोजिशन रखने वाले मदन कौशिक को मंत्रीमंडल से हटाकर संगठन में लाया गया। जनता में सवाल उठने लगे कि मदन का प्रमोशन हुआ या डिमोशन हुआ है। मदन कौशिक की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी हो गई। सवाल जस का तस रह गया। इसी दौरान साल 2022 में विधानसभा चुनाव हुए। पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनी। मदन कौशिक पांचवी बार हरिद्वार से विधायक बन गए। लेकिन धामी सरकार के गठन के वक्त मदन कौशिक को मंत्रीमंडल में शामिल नही किया गया। वही दूसरी ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा, संजय गुप्ता लक्सर और हरिद्वार से स्वामी यतीश्वरानंद विधानसभा चुनाव हार गए। संजय गुप्ता ने हार का ठीकरा मदन कौशिक के सिर फोड़ दिया। जिसको हवा स्वामी यतीश्वरानंद देते रहे। खटीमा से चुनाव हार चुके पुष्कर धामी को तो मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिल गई लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद और संजय गुप्ता को अपनी चुनावी हार का मलाल रहा। तीसरी सबसे बड़ी बात धामी और मदन कौशिक के बीच की दूरी भी बढ़ती रही।
धामी के करीबी मित्र मदन से असहज हो रहे थे। वह मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटने का इंतजार देख रहे थे। आखिरकार 30 जुलाई 2022 को उनके मन की मुराद पूरी हो गई। भाजपा को नए अध्यक्ष के रूप में महेंद्र भटट मिल गए। महेंद्र भटट को ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में टिकटों में अहम भूमिका निभानी है। मदन के विरोधियों के चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दे रही है। वही दूसरी ओर मदन कौशिक के समर्थकों में निराशा है। हालांकि मदन कौशिक एक कददावर नेता है। उनके राजनैतिक अनुभव से ही संगठन ने सत्ता में वापिसी की है। ऐसे में भाजपा हाईकमान के अगले निर्णय पर सभी की नजर है।



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