शहीद विक्टोरिया क्रॉस गबर सिंह नेगी मेला घोषित हो राजकीय मेला: कुलपति डा. ध्यानी




नवीन चौहान.
तीन दिवसीय शहीद वीसी गबर सिंह नेगी
मेले का समापन होने से पहले श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीताम्बर प्रसाद ध्यानी ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। मेला समिति, चम्बा द्वारा तीन दिवसीय वीसी गबर सिंह मेले का आयोजन किया जाता है।

कार्यक्रम स्थल श्रीदेव सुमन अटल आर्दश इण्टर कालेज, चम्बा में पहुंचकर उन्होंने मेले में उपस्थित जन समुदाय और चम्बा क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों को उद्बोधित करते हुये कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के नायक, हीरो आफ न्यू शैफल (फ्रांस) के नाम से विश्व विख्यात वीर सपूत और सबसे कम उम्र में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले, चम्बा की धरती में जन्मे वीर सपूत, शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के जीवन दर्शन से हम सभी उत्तराखण्डीयों को हमेशा प्रेरित होना चाहिए और हम सबको इस वीर सपूत के व्यक्तित्व और कृतित्व से हमेशा प्रेरणा लेनी चाहिए।

डा. ध्यानी ने कहा कि हमारे राज्य उत्तराखण्ड की पावन धरती में अनके वीर सैनिकों, देशभक्तों और क्रान्तिकारियों ने जन्म लिया और हमारे देश का गरिमामयी इतिहास भी उत्तराखण्ड की इन अद्भूत और विलक्षण विभूतियों के शौर्य और बलिदान की गौरव गाथाओं से भरा पड़ा है। प्रथम विश्वयुद्ध में अपने प्राणों की आहूति देकर बिट्रिश सेना के सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त करने वाले और गढ़वाल राईफल्स को रायल गढ़वाल का सम्मान दिलाने वाले, शहीद गबर सिंह नेगी का नाम आज पूरे उत्तराखण्ड में बहुत ही मान और सम्मान से लिया जाता है।

आज भी भारतीय सेना में विशेष पहचान देने के लिये गढ़वाल राईफल्स के जवानों के दाहिने कंधों पर लटकती और चमचमाती लाल रस्सी शहीद गबर सिंह नेगी की वीरता और शौर्यता को प्रदर्शित करती रहती है। आज भी जवान सैन्य प्रशिक्षण के बाद लैन्सडाउन में गबर सिंह नेगी की प्रतिमा के नीचे देश सेवा की शपथ लेते हैं। धन्य है ऐसी माता जिन्होंने ऐसे वीर सपूत को जन्म दिया, लेकिन अत्यन्त कष्ट होता है कि आजादी के बाद भी अभी तक शहीद वीसी गबर सिंह नेगी की जन्म स्थली मंज्यूड गांव, चम्बा की कोई भी सुध नहीं ले रहा है और न ही कोई वित्तीय अभाव के कारण उनके नाम को और चिर स्थाई बनाने हेतु गम्भीरता से प्रयास कर रहा है।

कुलपति डा. पीताम्बर ध्यानी ने अपने उद्बोधन में यह भी अवगत कराया कि श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति का दायित्व सम्भालने के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय मुख्यालय में स्थित सेमीनार हाल का नाम शहीद गबर सिंह नेगी’ के नाम रखा, फिर उन्होंने’ शहीद वीसी गबर सिंह नेगी स्मृति व्याख्यान’ की शुरूवात की और शहीद वीसी गबर सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व को और चीर स्थाई बनाने के लिये विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में उनके जीवन दर्शन को सम्मिलित किया। जिससे आज विश्वविद्यालय के छात्र और छात्राओं को प्रेरणा मिल रही है और वे गौरवान्वित हो रहे हैं।

डा. ध्यानी ने कहा कि ऐसे निर्णय लेकर उन्हें आज आत्म संतुष्टि हो रही है। डा. ध्यानी ने अपने सम्बोधन के अन्त में कहा कि यदि उनके द्वारा दिये गये उक्त 08 सुझावों पर कोई भी क्रियान्वयन करता है तो वह उनकी इस महान वीर सपूत शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी। डा. ध्यानी ने एक शिक्षाविद व कुलपति के नाते जन समुदाय के समक्ष अपने सारगर्भित विचार रखे और 08 सुझावों से जनता को अवगत कराया:
1— शहीद वीसी गबर सिंह नेगी की जन्म स्थली ’मंज्यूड गांव’ में सडक निर्माण होना चाहिए।
2— मंज्यूड गांव में उनके पैत्रिक घर को सुरक्षित कर संग्रहालय बनाना चाहिए।
3— जनप्रतिनिधियों/सामाजिक संगठनों को ’मंज्यूड गांव’ को विकासात्मक कार्यो हेतु गोद लेना चाहिए।
4— चम्बा में वर्षो से आयोजित शहीद वीसी गबर सिंह नेगी मेले को ’राजकीय मेला’ घोषित होना चाहिए।
5— चम्बा में बनायी गयी सुरंग का नाम शहीद गबर सिंह नेगी के नाम पर होना चाहिए।
6— शहीद वीसी गबर सिंह नेगी मेले की अवधि में सेना की भर्ती रैली आयोजित की जानी चाहिए।
7— शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के नाम पर मिलिट्री स्कूलों की स्थापना होनी चाहिए।
8— शहीद वीसी गबर सिंह नेगी के नाम पर मिलिट्री विष्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए।



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