आईपीएस मंजूनाथ टीसी के खौफ के साये में निजी कॉलेज प्रबंधक




नवीन चौहान
उत्तराखंड के निजी कॉलेज संचालक इन दिनों आईपीएस मंजूनाथ टीसी के खौफ के साये में जीने को विवश है। कॉलेज संचालकों को डर सता रहा कि एसआईटी प्रमुख उनके पूछताछ करने कब आ धमके। वही आईपीएस मंजूनाथ टीसी की ईमानदारी भी कॉलेज प्रबंधकों का हौसला तोड़ रही है। कॉलेज प्रबंधक खुद अपनी बात रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। हालांकि एसआईटी ने अभी किसी निजी कॉलेज से पूछताछ नहीं की है। लेकिन चोर की दाड़ी में तिनका वाली कहावत यहां चरितार्थ होती दिखाई पड़ रही है। छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों के धन की बंदरबांट होने के बाद जब ये घोटाला उजागर हुआ तो समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की भी फूंक सरकी हुई है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एसआईटी ने हरिद्वार जनपद के अलावा कई कालेजों के खिलाफ काफी पुख्ता सबूत जुटा लिए हैं।
देवभूमि उत्तराखंड में एक के बाद घोटाले उजागर हो रहे है। उत्तराखंड का सबसे चर्चित घोटाले उधमसिंह नगर का एन74 का रहा। जिसमें आईएएस से लेकर पीसीएस तक के अधिकारी लपेटे में आ गए। अभी इस प्रकरण की आंच ठंडी भी नहीं हुई थी कि छात्रवृत्ति घोटाला सुर्खियों में आ गया। छात्रवृत्ति घोटाले में निजी कॉलेजों ने एससीएसटी छात्रों के नाम पर सरकार से दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि में गड़बड़ी का प्रकरण उजागर हो गया। इस प्रकरण में जब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई तो उत्तराखंड सरकार के निर्देशों पर एसआईटी गठित कर जांच कराई गई। जांच में घोटालों होने की पुष्टि होने पर सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि मुकदमे की विवेचना एसआईटी की टीम ही कर रही है। जब से इस मुकदमे की विवेचना शुरू हुई तभी से निजी कॉलेज संचालकों की नींद उड़नी शुरू हो गई। हालांकि एसआईटी की टीम के प्रमुख आईपीएस मंजूनाथ टीसी ने सबसे पहले समाज कल्याण विभाग से कालेजों का डाटा जुटाना शुरू किया। एसआईटी ने जांच को तेजी से बढ़ाना शुरू किया तो समाज कल्याण विभाग भी हीलाहवाली करने लगा। लेकिन मंजूनाथ टीसी के कड़क मिजाज के आगे समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की एक नही चली। आखिरकार मजबूरी में ही सही समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कॉलेजों का डाटा उपलब्ध कराने में लगे हैं। जिसके बादएसआईटी तमाम सबूतों को एकत्रित करने के बाद निजी कॉलेजों से पूछताछ करेंगे। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी ने बताया कि विवेचना चल रही है। अब समाज कल्याण विभाग भी सहयोग कर रहा है।
नेताओं की दर पर कालेज प्रबंधक
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच की तपिश से बचने के लिये निजी कालेज प्रबंधक नेताओं के दर पर माथा टेकने में लगे है। कुछ कालेज प्रबंधकों ने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से मदद की गुहार लगाई है। हालांकि कानूनी प्रकरण होने के चलते नेताओं ने हाथ पीछे खींच लिए है।
भाजपा और कांग्रेसी नेताओं के कॉलेज
छात्रवृत्ति घोटाले में कई सफेदपोश नेताओं के कॉलेज भी संदेह के घेरे में है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने हरिद्वार और रूड़की में कालेज बनाकर छात्रवत्ति की रकम को डकारा। अब जब प्रकरण चर्चाओं में आ गया तो इन नेताओं के चेहरे की रौनक गायब है। देखना वाली बात ये है कि क्या वास्तव में इस प्रकरण में घोटाले की रकम सरकार के खाते में वापिस जायेगी या नहीं।
करीब 700 करोड़ का घोटाला
उत्तराखंड का दूसरा सबसे बड़ा चर्चित घोटाला करीब सात सौ करोड़ से अधिक का है। इसमें आईटीआई और तमाम अन्य शिक्षण संस्थान संदेह के घेरे में है। आखिरकार गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार से दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि को डकारने के लिए कॉलेजों ने किस तरह के पैतरे अपनाए ये बात सब उजागर होगी।



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