नवीन चौहान,
हरिद्वार। उत्तराखंड सरकार ने निजी स्कूलों की फीस को लेकर जो भ्रम की स्थिति बन रही थी उसको पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है। सरकार ने रि-एडमिशनल फीस, कैपीटेशन शुल्क या कॉशन मनी को पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसके अलावा निजी स्कूल टयूशन फीस और तमाम फंड अभिभावकों से ले सकते हैं। शासन की ओर से इस संबंध में सभी निजी स्कूलों को निर्देशित कर दिया गया है। जो निजी स्कूल इन निर्देशों का पालन नहीं करेंगा, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाने की संस्तुति की जायेगी।
बतादे के विगत सालों से अभिभावकों ने निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिये आवाज बुलंद की थी। अभिभावक लगातार निजी स्कूलों की फीस को लेकर आवाज उठाते रहे। स्कूलों के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। अभिभावकों की आवाज उत्तराखंड सरकार ने ठोस कदम उठाया। सरकार ने निजी स्कूलों पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया। गत वर्ष सरकार ने सख्ती दिखाते हुये निजी स्कूलों से रि-एडमिशन फीस को बंद कराया और कैपीटेशन शुल्क भी अभिभावकों को वापिस कराया। सरकार के निर्देशों का निजी स्कूलों ने पूरी तरह से पालन किया। लेकिन नये सत्र में एक बार फिर निजी स्कूलों की फीस को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई। अभिभावकों ने निजी स्कूलों के खिलाफ प्रदर्शन किये तथा अधिक फीस लेने के आरोप लगाये। इसी फीस के संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुये मुख्य शिक्षा अधिकारी आरडी शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से निजी स्कूलों की रि-एडमिशन फीस और कॉशन मनी को बंद किया है। इसके अलावा स्कूल अपनी टयूशन फीस और अन्य फंड अभिभावकों से ले सकते है। वही सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों की अनिवार्यता कर दी गई है। इसी के साथ निजी स्कूलों के संबंधित मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिये उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर एसडीएम की अध्यक्षता में एक जांच टीम गठित कर दी है। उक्त जांच टीम में खंड शिक्षाधिकारी और उप शिक्षाधिकारी निजी स्कूलों से संबंधित मिलने वाली शिकायतों पर जांच करेंगे और अध्यक्ष को रिपोर्ट सौपेंगे। जिसके संबंध में सभी स्कूलों को निर्देशित पत्र जारी कर दिये गये है।