भारत के सच्चे सपूत लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन पर विशेष




नवीन चौहान
लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की वीरगाथाएं इतिहास में दर्ज है। भारत को एक सूत्र में पिराने और अखंड भारत का सपना साकार करने वाले सरदार वल्लभभाई ने अपना पूरा जीवन मातृभूमि की सेवा में समर्पित कर दिया। अपने सिद्धांतों पर अडिग रहकर लौह पुरूष ने मां भारती की रक्षा करने के लिए सदैव अग्रणी भूमिका निभाई।
भारतवासी आज लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 145वीं जयंती मना रहे है। न्यूज127 की ओर से महान वीर सपूत को श्रद्धांजलि।
भारत आज लौह पुरूष वल्लभभाई के जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है। भारत को आजादी मिलने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यही कारण है कि वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन को समूचे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस ( National Unity Day ) के तौर पर मनाया जाता है।
साल 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया था। देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के तौर पर कार्य करते हुए लौह पुरूष ने तमाम उल्लेखनीय कार्य किए। पाठकों को विदित हो कि सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। प्राइमरी स्कूल में प्राथमिक शिक्षा अर्जित की। स्कूली दिनों से ही क्रांतिकारी कदम उठाए और आंदोलनों में भाग लेना शुरू कर दिया। जुर्म और अत्याचार के विरोध में खड़ा होना उनकी आदत में शुमार रहा। लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई की और अपने गुजरात के अहमदाबाद में वकालत करने लगे।
महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात किया और उनसे प्रेरित होकर स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। भारत के आजाद होने के बाद विभिन्न 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण किया। उनकी इस काबलियत से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी। सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत बनाने पर काफी जोर दिया। उन्होंने सिविल सेवाओं को स्टील फ्रेम कहा था। बताते चले कि किसी भी देश का मजबूत आधार उसकी एकता और अखंडता पर निर्भर करता है। इसी महत्वपूर्ण कार्य के सरदार पटेल सूत्रधार थे। उन्होंने समूचे भारत को एकसूत्र में पिरोने का तो अनूठा कार्य किया। इसी के चलते उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।



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