उत्तराखंड में खौफ और दिल्ली तक दहशत तब आयरन लेडी दिखा रही थी काबलियत





नवीन चौहान
उत्तराखंड में खौफ था और दिल्ली तक दहशत बनी हुई थी। चमोली के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने की खबर से हर किसी इंसान के दिलो दिमाग में हलचल थी। लेकिन उत्तराखंड कैडर की तेज तर्रार आईपीएस अफसर रिधिम अग्रवाल इस कठिन परिस्थिति में अपनी एसडीआरएफ की टीम के साथ मुकाबला करने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी। रिधिम अग्रवाल आपदा प्रबंधन कक्ष में मोर्चा संभालते हुए आपदा कमांडेंट को निर्देशित कर रही थी। आपदा की तमाम भ्रामक सूचनाओं पर वीराम लगा रही थी। चंद मिनटों में ही एसडीआरएफ को आपदा ग्रस्त इलाकों के हालात को संभालने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दे रही थी। उनके लिए चॉपर और तमाम आवश्यक सामान एकत्रित कर मोर्चो संभालने के लिए रवाना कर रही थी।
उत्तराखंड कैडर की 2005 बैंच की आईपीएस अफसर डीआईजी एसडीआरएफ रिधिम अग्रवाल अपने मजबूत इरादे और बुलंद हौसलों के लिए जानी जाती है। आयरन लेडी आफ उत्तराखंड के रूप में रिधिम अग्रवाल की विशेष पहचान बन चुकी है। रिधिम अग्रवाल बेहद ही ईमानदार और संवेदनशील अफसर है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह चुनौतियों से डटकर मुकाबला करने में गजब की क्षमता रखती है। व​ह विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बनाने की काबलियत रखती है। पुलिसकर्मियों को कर्तव्यनिष्ठा का बोध कराने और ईमानदारी से कार्य करने के हमेशा प्रेरित करती रही है। ऐसा ही कार्य उन्होंने चमोली आपदा की सूचना के 45 मिनटों में कर दिखाया।
डीआईजी रिधिम अग्रवाल रविवार की छुटटी होने के चलते जिम में वर्क आउट कर रही थी। एसडीआरएफ कंटोल रूम से उनको चमोली के जोशीमठ में ग्लेशियर फटने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही उन्होंने तत्काल कमांडेंट को फोन लगाकर मौके से कंफर्म करने को फोन लगाया। डीजीपी सर और सचिव आपदा को फोन किया। कंट्रोल रूम एसईओसी अर्थात स्टेट इमरजेंसी आप्रेशन सेंटर को फोन किया। आपदा प्रबंधन स्टॉफ को चंद मिनटों में ही कार्यालय पहुंचने के लिए निर्देशित किया। आपदा के 45 मिनट के भीतर ही सभी कंट्रोल रूम पहुंंच गए। जनता में पैनिक फैलने से रोकने के लिए पानी की स्थिति की जानकारी ली गई। प्रत्येक 15—15 मिनट में पानी की जानकारी के लिए निर्देशित किया। नीचे के सभी जनपदों को अलर्ट कर दिया गया। आपदा के नाम से जनता घबराने लगी थी। लेकिन रिधिम अग्रवाल ने ​इस हालात को संभालने के सोशल मीडिया का पूरा उपयोग किया। मीडिया को प्रेस नोट जारी कर हालात की सही जानकारी दी। इसी के साथ—साथ डीआईजी रिधिम अग्रवाल आपदाग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव कार्यो की जानकारी करती रही। पीड़ितों की हरसंभव मदद के लिए तैयारियों को पूर्ण कराने में महती भूमिका अदा की। आपदा की घड़ी में कर्तव्यनिष्ठा के फर्ज को अंजाम दिया। कुल मिलाकर कहा जाए तो आपदा के 45 मिनट में एक महिला पुलिस अफसर रिधिम अग्रवाल ने आपदाग्रस्त इलाकों में भेजी गई एसडीआरएफ से जो कार्य कराया वो काबिले तारीफ है। जिसका पूरा श्रेय रिधिम अग्रवाल और उनकी टीम को जाता है।
सोशल मीडिया का उपयोग
डीआईजी एसडीआरएफ रिधिम अग्रवाल सोशल मीडिया का सबसे बेहतरनीय उपयोग पुलिसिंग में करती रही है। अपराधियों को पकड़ना हो या पैनिक को फैलने से रोकना हो। ऐसा ही आपदा के वक्त भी किया। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से जनता तक यह बात पहुंचाई की सावधानी बरतने की जरूरत है। घबराने की और चिंता करने की जरूरत नही है। अफवाह ना फैलाये। नीचे के इलाकों को खाली कराने का उददेश्य सुरक्षा के दृष्टिगत उठाया गया एक कदम था।
एजेंसी से संपर्क साधा
ऋषि गंगा और एनटीपीसी की एजेंसी से संपर्क करने का प्रयास किया। ताकि कार्यरत व्यक्तियों की संख्या का सही पता चल सहे। एजेंसी से एक घंटे बाद पता चला कि इतने लोगों की मानव क्षति हुई है। सभी लोग मलबे में समा गए है।
आपदा के बाद के वो 45 मिनट
आईपीएस रिधिम अग्रवाल के वो 45 मिनट बड़े ही महत्वपूर्ण रहे। एक—एक सेकेंड के चंद मिनट बाद ही एसडीआरएफ फोर्स को एक्टिवेट करना, चॉपर लगवाना, उच्चाधिकारियों को सूचना देना। आगे की प्लानिंग देना। सीडब्लूसी एजेंसी व तमाम एजेंसी से सहयोग लेना। स्टेट इमरजेंसी आप्रेशन सेंटर में प्रत्येक एजेंसी का एक—एक नोडल अधिकारी से जानकारी करना। सभी नोडल अधिकारी जिनमें पीडब्लूडी, विद्युत, आईटीबीपी, पुलिस,एसडीआरएफ,फायर,रेडियो सभी नोडल से फीडबैक लिया गया। आर्मी, आईटीबीपी को बुलाया गया।
कैसे करना क्या करना बताया
डीआईजी रिधिम अग्रवाल ने राहत और बचाव कार्यो के लिए भेजी गई फोर्स को निर्देशित किया। आपदा की घड़ी में त्वरित निर्णय लेकर मानव और वन्य जीवों की रक्षा में सकारात्मक और प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए। एसडीआरएफ की टीम में जोश और ऊर्जा का संचार किया। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में सबसे पहले पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने ही राहत और बचाव कार्यो में तेजी ​दिखाई। एसडीआरएफ के जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर मानव सेवा का सर्वश्रेष्ठ कार्य किया और वर्तमान में आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में मोर्चा संभाले हुए है।
आयरन लेडी की काब​लियत
आईपीएस रिधिम अग्रवाल ने विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए हमेशा ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल पेश की। एसएसपी एसटीएफ की कमान संभालने के दौरान बदमाशों को जेल की राह दिखलाई। बदमाशों की तमाम लोकेशन पर नजर बनाकर रखी। बदमाशों को उत्तराखंड में सिर उठाने का मौका नहीं दिया। जनपदों में ​वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्य करते हुए रिधिम अग्रवाल ने पुलिसिंग की नई परिभाषा गढ़ी। पुलिसकर्मियों को कार्य करने का तरीका सिखाया। अपराधियों की कुंडली थाना प्रभारियों के मोबाइल में संजो दी। बदमाशों के हौसलों को पस्त किया। बदमाशों में पुलिस का खौफ पैदा किया। खाकी का मान बढ़ाकर रखा।
सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य
डीआईजी रिधिम अग्रवाल ने जोशीमठ आपदा के दौरान सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कार्य किया। आपदा की इस घड़ी में रिधिम अग्रवाल ने कंट्रोल रूम में बैठकर एसडीआरएफ की टीम की हौसला अफजाई करते हुए निर्देशित करना चुनौतीपूर्ण था। इंसान और वन जीवों की के जीवन को सुरक्षित बचाने की कठिन चुनौती थी। लेकिन आपदा की इस अग्निपरीक्षा में भी रिधिम अग्रवाल ने आपदा पीड़ितों को बचाने, राहत पहुंचाने और लापता लोगों को खोजने में महती भूमिका अदा की।

डीआईजी रिधिम अग्रवाल ने इस कठिन वक्त के बारे में बताया कि आपदा की सूचना मिलने के बाद इंसान की जिंदगी बचाना ही सबसे पहली प्राथमिकता थी। पूरा दिन कंट्रोल रूम में रहकर बस यही था कि आपदा में गायब लोग सुरक्षित मिल जाए। रात्रि 11 बजे घर पहुंची। लेकिन फोन पर टीम के संपर्क में रही। हादसे के तत्काल बाद रेस्क्यू में जरूरत के सामान को एकत्रित करने के निर्देश दिए। जोशीमठ, गोचर, रूद्रप्रयाग की तीनों टीमों को एक्टिवेट किया। वाटर रेस्क्यू टीम ढालवाला में थी। बटालियन में रिजर्ब तैयार किया गया। यहां से टीम भेजने के लिए चॉपर तैयार किए।



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