संघ की शाखाओं में होते हैं भारतीय संस्कृति के दर्शन्




शादाब अली कुरैशी
संघ की शाखाओं में भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। शाखाओं में जाने से मनुष्यों के भीतर राष्ट्रभक्ति की भावना जाग्रत होती हैं। संघ की शाखाओं में भारतीयों को एकसूत्र में पिरोने का ज्ञान दिया जाता हैं। उक्त बात रूड़की में आयोजित संघ की शाखा के कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अनिल ओख उज्जैन ने कहीं।

रुड़की स्टेडियम में आयोजित संघ दर्शन कार्यक्रम में तमाम आरएसएस से जुड़े लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता अनिल ओख उज्जैन ने कहा कि भारतीय संस्कृति के बारे में कुछ जानना हो तो संघ के अंदर आना जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के लिए समाज को जागरूक करना जरूरी है। संघ राष्ट्र निर्माण कार्य करने के साथ ही समाज में परिवर्तन लाने का कार्य भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक समाज स्वयं अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए कदम नहीं उठाता तब तक भगवान भी उनकी मदद नहीं करता है। कहा कि सरकार केवल अपने हित की ओर जाती हैं। सरकार कभी राष्ट्र निर्माण नहीं करती राष्ट्र निर्माण के लिए स्वयं जागरूक होना जरूरी है। कहा कि जिस तरह से हमें अपना काम स्वयं ही करना होता है, उस तरह से ही अगर देश में भ्रष्टाचार की समस्या को दूर करना है तो समाज के लोगों को इकट्ठा होकर जागरूक करना होगा। अपने आप को भी बदलना होगा और उन्होंने कहा कि संघ यह नहीं कहता कि आप किसी दल को वोट दें लेकिन संग यह जरूर बताता है कि किन तथ्यों और मूल्यों के आधार पर किसी को वोट किया जाए।उन्होंने कहा कि भारत हिंदुओं का देश है इसका भला बुरा सोचने का अधिकार हिंदुओं को ही है। देश के कल्याण के लिए संगठित होना जरूरी है। मुख्य वक्ता ने आव्हान किया कि हम सबको थोड़ा समय संघ की शाखाओं के लिए भी निकालना होगा। इस अवसर पर डॉक्टर नरेंद्र शर्मा, प्रवीण, प्रदीप बत्रा, जलसिंह, सुबोध राकेश, किसलय सैनी, राजीव गुप्ता, शोभाराम प्रजापति, विशाल, गौरव, गोयल धीर सिंह, सागर गोयल, सुनील साहनी, अरविंद कश्यप, संजय कक्कड़, नवीन जैन, दीपक पांडे और रवि राणा सहित सैंकड़ों आरएसएस के लोग उपस्थित रहे।



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