सिनेमा नहीं असल जिंदगी में हीरो थे डाॅ. कलाम: रमेश चंद्र




-नवाचार कर भारत को आगे बढाने का काम करें
-चुनौतियों को अवसर में बदलने में विश्वास करें

मेरठ। उन्होंने कभी सिनेमा में काम नहीं किया लेकिन असल जिंदगी में वे हीरो थे। इंटरनेट पर हजारों प्रेरणादायक उद्धरण हैं और वास्तव में सभी के लिए एक जीवंत प्रेरणा थी। जहां ज्यादातर लोग जिंदगी में अवसरों को खोजते हैं, वहीं डा. कलाम हमेशा नई चुनौतियों की तलाश में रहते थे। भविष्य की पीढ़ियों के पोषण के महत्व से अच्छी तरह से वाकिफ थे।

डा. अब्दुल कलाम की जंयती पर हमें यह पता लगाना चाहिए कि हम भारत में नवाचार को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं। यह बात पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के अवसर पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित डाॅ0 अब्दुल कलाम छात्रावास में आयोजित कार्यक्रम में वित्त अधिकारी रमेश चंद्र ने कही।

उन्होंने अब्दुल कलाम साहब के जीवन पर अखबार बेचने से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक के सफर पर प्रकाश डाला तथा बताया की भगवान श्रीराम ने भी अब्दुल कलाम साहब के गांव में ही शक्ति की शिक्षा प्राप्त की थी। बताया कि उनकी मुलाकात कलाम साहब के भाई से हो चुकी है। वे कलाम साहब के घर भी गए हैं उन्होंने छात्रावास में कलाम साहब की स्टैचू बनवाने का भी आश्वासन दिया कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य छात्रावास अधीक्षक ने अब्दुल कलाम साहब के बारे में बताया और कहा अपनी कल्पना को उड़ान दीजिए, हम कुछ भी कर सकते हैं सबसे पहले अपने लक्ष्य को तय करें और उस पर निरंतर मेहनत बहुत जरूरी है।

इस अवसर पर एससीआरआईटी के निदेशक डॉक्टर नीरज सिंघल, इंजीनियर मनीष मिश्रा इंजी प्रवीण कुमार, डॉ लक्ष्मी शंकर सिंह, डॉ धर्मेंद्र, डॉ दुष्यंत चौहान, डॉ यशवेंद्र वर्मा, डॉक्टर केपी सिंह, डॉक्टर वंदना राणा, निधि भाटिया मनी सिंह आदि उपस्थित रहे। अंत में छात्रावास अधीक्षक इंजीनियर प्रवीण कुमार ने सभी अतिथियों का तथा आवासीय छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया।



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