नवीन चौहान
छात्रवृत्ति घोटाले में सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की एकलपीठ के न्यायमूर्ति न्यायाधीश लोकपाल सिंह के आदेशों के बाद उत्तराखंड सरकार के खजाने में छात्रवृत्ति की डूबी गई रकम वापिस आने की संभावना बढ़ गई है। 11 कॉलेज संचालकों ने कोर्ट में रकम वापिस करने का हलफनामा दिया है। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी किया की उक्त रकम को वित्त विभाग के एकाउंट में जमा कराया जाए।
बुधवार को हाईकोर्ट में अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों की करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाले से संबंधित मामले में सुनवाई हुई। इसमें विभिन्न कॉलेज-संस्थान के प्रबंधकों ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की है। संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सभी आरोपी कॉलेज के प्रबंधकों को आदेश दिए कि वे कॉलेज से संबंधित धनराशि को सरकार के वित्त विभाग में जमा कराएं। वहीं वित्त विभाग को आदेश दिए कि वह इसके लिए अलग से खाता खोले। जमा की गई धनराशि का निस्तारण संबंधित वाद के भविष्य में होने वाले आदेशों पर निर्भर करेगा। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ में हुई।
बताते चले कि छात्रवृत्ति घोटाला उजागर होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर निजी कॉलेज संचालकों की जांच कराई गई। जिसके बाद घोटाले की पुष्टि होने पर एसआईटी गठित की गई। एसआईटी ने विभिन्न कॉलेज-संस्थान और प्रबंधन के खिलाफ तमाम साक्ष्य जुटाते हुए ताबड़तोड़ मुकदमे दर्ज किये। एसआईटी की गिरफ्तारी से बचने के लिए कॉलेज-संस्थानों के प्रबंधकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इन तमाम मामलों की 19 फरवरी 2020 को न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की अदालत में सुनवाई हुई। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी समेत कई पुलिस अधिकारी न्यायलय में उपस्थित हुए। मंजूनाथ टीसी ने न्यायालय में अब तक की गई जांच, एफआईआर समेत अन्य तमाम प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि कई कॉलेज प्रबंधक घोटाले की धनराशि सरकार को वापस करने को तैयार है। सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने कॉलेज प्रबंधन को आदेश दिए कि वे एसआईटी द्वारा आरोपित की गई धनराशि सरकार के वित्त विभाग में जमा कराएं। इसका निस्तारण संबंधित वाद के निर्णय के अधीन रहेगा।