नवीन चौहान
कोरोना संक्रमण काल में उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार पूरी तरह से वेंटीलेटर पर आ गया है। पर्यटन कारोबारियों में त्राहिमाम मचा हुआ है। बैंक किस्त और वाहनों के बीमा, टैक्स व तमाम अन्य खर्च परेशानियों का सबब बने हुए है। चालक, परिचालक व पर्यटन कारोबारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है। पर्यटन कारोबार से जुड़े तमाम लोग बेरोजगार हो चुके है। ट्रैवल कारोबारी अपने वाहनों को औने—पौने दामों पर बेचने को तैयार है। लेकिन बाजार में वाहनों को खरीदने के लिए कोई ग्राहक नही है। ऐसे में राज्य सरकार की बेरूखी कारोबारियों को चिंता में डाल रही है। फिलहाल पर्यटन कारोबारियों को कोई उपाय नही सूझ रहा है। उत्तराखंड में पर्यटन कारोबार पर संकट के बादल पूरी तरह से मंडराए हुए है। इन कारोबारियों को अब सरकार से ही कुछ आक्सीजन मिलने की उम्मीद है।
उत्तराखंड का सबसे प्रमुख व्यवसाय पर्यटन है। आस्थावान श्रद्धालुओं के तीर्थस्थल पहुंचने और पर्यटकों के पहाड़ों में भ्रमण करने से ही पर्यटन कारोबारियों के आय का स्रोत्र है। लेकिन कोरोना संक्रमण की महामारी के भारत में प्रवेश करने के बाद से उत्तराखंड में दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। मार्च 2020 में लॉक डाउन के बाद से सिस्टम पूरी तरह से बदल गया। जिसका नतीजा ये रहा कि उत्तराखंड का पर्यटन कारोबार चौपट हो गया। होटल इंस्ड्रटी, ट्रैवल आफिस और पर्यटकों के लिए सामान बेचने वाले दुकानदार पैदल हो गए। सभी के प्रतिष्ठानों पर ताले जड़े है। लेकिन खर्च का मीटर चालू है। वाहनों के बीमा, टैक्स, बैंक किस्त व कर्मचारियों के वेतन की खर्च बरकरार है। कारोबार खुलने की उम्मीद के चलते कारोबारियों ने अपने चालक, परिचालक व कर्मचारियों को कुछ माह तो वेतन दिया। लेकिन अब पर्यटन कारोबारियों को खुद खाने का संकट आ गया। कारोबारियों को खुद अपने खर्च को वहन कर पाना संभव नही रहा। कारोबार के पूरी तरह से ठप्प पड़ जाने से कारोबारियों को कोई रास्ता नही सूझ रहा है। कोई दूसरा कारोबार करने की स्थिति में नही है। आगामी एक वर्ष अर्थात साल 2021 की चारधाम यात्रा के शुरू होने से पहले की कोई उम्मीद दिखाई नही पड़ रही। ऐसे में आगामी छह माह का वक्त गुजारना कारोबारियों के लिए बेहद मुश्किल है। राज्य सरकार की ओर से कारोबारियों को कोई रिलीफ नही दिया गया है। टूर आप्रेटर एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक अहलूवालिया ने बताया कि पर्यटन कारोबार पूरी तरह से डूब चुका है। पर्यटकों के आने की कोई उम्मीद नही है। कारोबारियों की समस्याओं पर राज्य सरकार संजीदा नही है। ऐसे में राज्य की अर्थव्यवस्था में सबसे अहम रोल निभाने वाले पर्यटन कारोबारी अपने ठगा से महसूस कर रहे है। एसोसियेशन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहा है। ताकि सरकार की नींद खुले और हम सभी को आक्सीजन मिल सके।