हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सही अर्थों में जीवन जीना सीख जायें, तो परिवार, समाज के साथ राष्ट्र की प्रगति में योगदान देसकते हैं। गायत्री परिवार देश भर में विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों एवं आंदोलनों के माध्यम से विद्यार्थियों एवं युवाओं को प्रेरित करने का कार्य कर रहा है। शिक्षक इसदिशा की प्रथम कड़ी है। वे शांतिकुंज में आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के ओड़िशा प्रांत के जिला व तहसील समन्वयकों तथा शिक्षकों की दो दिवसीय शिक्षक गरिमाशिविर को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्यालय में संस्कृति मण्डलों का गठन के माध्यम से युवाओं में संस्कृति, संस्कार एवं सत्प्रवृत्तियों के संवर्धन हेतु विविधसूत्रों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने गायत्री परिवार द्वारा चलाये जा रहे आंदोलनों– वृक्षारोपण, बालसंस्कार, कन्या कौशल शिविर आदि का उल्लेख करते हुएइसमें सक्रिय भागीदारी करने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि यह समय कुरीतियों को मिटाने का है, इसके लिए युवाओं को प्रेरित करने एवं उन्हें जाग्रत करनेके लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करना है। डॉ. पण्ड्या ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समाज में व्याप्त बुराइयों को जड़ से मिटाने हेतु आगे बढ़कर कार्यकरने के लिए प्रेरित किया। इससे पूर्व शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री केसरी कपिल जी ने कहा कि चरित्रवान शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता छात्र का निर्माण करते हैं। गायत्री तीर्थ शांतिकुंजव देवसंस्कृति विश्वविद्यालय युवाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उन्हें गढ़ने एवं राष्ट्रीयता का भाव जगाने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रदीप दीक्षित ने बताया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार विद्यार्थियों एवं युवाओं को भारतीयसंस्कृति की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 1994 से देशभर में प्रत्येक वर्ष भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा आयोजित करता आ रहा है। इसके लिए प्रत्येकराज्य में अलग-अलग टीमें बनाई गयीं है। इनकी शृंखलाबद्ध प्रशिक्षण का क्रम प्रारंभ किया गया है। इस संगोष्ठी में ओड़िशा प्रांत के 16 जिलों के 400 से अधिकशिक्षक व भासंज्ञाप समन्वयकगण सम्मिलित हैं। इस अवसर पर डॉ. पीडी गुप्ता, सीडी थपलियाल, मोहन सिंह भदौरिया, राजेश मिश्रा, पीसी वर्मा आदि भासंज्ञाप सेजुड़े कार्यकर्त्तागण उपस्थित रहे।