आयुर्वेदिक अनुसंधान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए आचार्य बालकृष्ण को मिले भारत रत्न




नवीन चौहान.
हरिद्वार स्थित प्रेस क्लब में पतंजलि रिसर्च संस्थान के द्वारा आचार्य बालकृष्ण के द्वारा आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर किए जा रहे शोध के कार्यों के रिसर्च पेपर्स की तरफ पूरी दुनिया का ध्यान गया है युवा वक्ता और कार्यकर्ता विनय कुमार और उनकी टीम ने आयुर्वेद पर आचार्य बालकृष्ण जी के उत्कृष्ट योगदान को जन-जन तक पहुंचाने का आव्हान किया।

उन्होंने कहा कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान भारत के लिए गौरव का विषय है। आचार्य बालकृष्ण के अथक पुरुषार्थ और मेहनत से अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में 100 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। आचार्य बालकृष्ण जी आधुनिक युग के धनवंतरी हैं। आज जब पूरी दुनिया रोगों और व्याधियों से त्रस्त है, एलोपैथी में रोगों के निवारण हेतु डॉक्टरों के पास कोई खास समाधान नहीं है। ऐसे में आचार्य बालकृष्ण जी का आयुर्वेद पर चिंतन वैज्ञानिक शोध उनके द्वारा लिखित पुस्तकें वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया औषध दर्शन आयुर्वेद जड़ी बूटी रहस्य पुस्तकों ने आयुर्वेद के क्षेत्र में एक व्यापक क्रांति की है।

कहा​ कि आज आवश्यकता है कि पतंजलि संस्थान भारतीय संस्कृति के आयुर्वेद के संरक्षण और संवर्धन पर महत्वपूर्ण योगदान का निर्वहन कर रहा है ऐसे में आवश्यकता है कि हम अपनी विरासत पर अपनी आयुर्वेद पर गर्व और गौरव की अनुभूति करें और आयुर्वेद को प्रमाणित वैज्ञानिक रूप से पूरी दुनिया में पहुंचाने हेतु आचार्य बालकृष्ण के उत्कृष्ट योगदान को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में प्रतिबद्ध हों यह पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव की बात है कि आचार्य बालकृष्ण को हाल में ही विश्व के 2% उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है।

विनय कुमार ने कहा कि आयुर्वेद भारत की संपदा है। इसलिए आयुर्वेद पर इतने बड़े स्तर पर शोध के कार्य होना बहुत बड़ा गर्व का विषय है इसलिए हम चाहते हैं कि यह योगदान भारत के हर व्यक्ति तक पहुंचे जिससे कि उन्हें आयुर्वेद के प्रति आयुर्वेद की दवाओं के प्रति गर्व और गौरव की अनुभूति युवाओं ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण के कार्यो को देखते हुए उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए। इस अवसर पर गौतम खट्टर, अधीर कौशिक, मुकुल गौड, कपिल जौनसारी, मोहित जोशी, नवीन सुयाल, कन्हैया, कुलदीप, मोहित चहल, राजेशआदि उपस्थित रहे।



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