नवीन चौहान
हरिद्वार के अधिवक्ता वीर गुर्जर ने कहा कि पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक करना अपराध है। पीड़ित परिवार की पहचान को सार्वजनिक करने वाले लोगों को दो साल की जेल तक हो सकती है।
हरिद्वार में बीते दो दिन पूर्व एक मासूम बच्ची की दुराचार के बाद हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए अपराधी की गिरफ्तारी की और मासूम का शव बरामद किया। लेकिन मासूम की मौत की खबर हरिद्वार में आग की तरह फैल गई। इस जघन्य अपराध की सभी ने कड़े शब्दों में निंदा भी की गई। लेकिन इस घटना से भी दुखद ये रहा कि हरिद्वार के नागरिकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से बच्ची की फोटो और नाम प्रकाशित कर इंसाफ की मांग करनी शुरू कर दी। जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त करते हुए हरिद्वार के अधिवक्ता वीर गुर्जर ने न्यूज127 से बातचीत की। अधिवक्ता वीर गुर्जर ने बताया कि पीड़ित परिवार की एक गरिमा होती है। इस गरिमा को बरकरार रखने की जिम्मेदारी समाज की होती है। पीड़ितों की पहचान सार्वजनिक करना एक अपराध है। कानून की धारा 228 ए के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद दो साल तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे में जिस किसी ने भी फोटो को प्रकाशित किया है वह तत्काल उसको हटा दें। अन्यथा आप मुसीबत में फंस सकते है।